MAHASHAKTER LOKYATRA (SANSKRIT)
Price: ₹ 10/-



Product Detail

Author Brahmavarchasva
Dimensions 14X22 cm
Language Hindi
PageLength 120
Preface “महाशक्ति की लोकयात्रा” परम वन्दनीया माताजी के दिव्य जीवन की अमृत कथा है । परात्पर प्रभु जब "सम्भवामि युगे-युगे" के अपने संकल्प को पूरा करने के लिए मानव कल्याण हेतु धराधाम में अवतरित होते हैं, तब उनके साथ उनकी लीला शक्ति का भी नारी रूप में प्राकट्य होता है । इतिहास-पुराण के अनेक पृष्ठ भगवत्कथा के ऐसे दिव्य प्रसंगों से भरे पड़े हैं । मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान् श्रीराम के साथ माता सीता आईं । भगवान् बुद्ध के साथ यशोधरा, चैतन्य महाप्रभु के साथ देवी विष्णुप्रिया, भगवान् श्रीरामकृष्ण देव के साथ माता शारदा ने अवतार लेकर उनके ईश्वरीय कार्य में सहायता की । वर्तमान युग में उसी महाशक्ति ने माता भगवती के रूप में अपनी समस्त कलाओं के साथ इस धरालोक पर अवतार लिया । अपनी इस लोकयात्रा में महाशक्ति ने अपने आराध्य वेदमूर्ति तपोनिष्ठ युगऋषि परम पूज्य गुरुदेव पं० श्रीराम शर्मा आचार्य के ईश्वरीय कार्य में सहायता करने के साथ हम सबके सामने अनेक जीवनादर्श प्रस्तुत किए । आदर्श गृहिणी, आदर्श माता, आदर्श तपस्विनी, आदर्श योग साधिका के साथ उन्होंने योग की उच्चतम दिव्य विभूतियों से सम्पन्न आदर्श गुरु का स्वरूप हम सबके समक्ष प्रकट किया । यही नहीं उन्होंने अपने पवित्र और साधना सम्पन्न जीवन के द्वारा भारतीय नारी की गरिमा को भव्य अभिव्यक्ति दी ।
Publication Yug Nirman Yojana Vistara Trust
Publisher Yug Nirman Yojana Vistara Trust
Size normal
TOC 1. माँ 2. समस्त संवेदनाओं का मूल-मातृतत्त्व 3. दिव्य ज्योति के अवतरण की वेला 4. विशिष्ट वर्ष में अवतरित हुईं महाशक्ति 5. बाल्यकाल के लीला प्रसंग 6. बालक्रीड़ा में झलकती दिव्य भावनाएँ 7. ध्यान की गहनता में दिखाई दिया अतीत 8. आराध्य से मिलन की भावभूमिका 9. मातृत्व के साथ निभा अलौकिक दांपत्य 10. परिवार ही नहीं, सबकी माताजी 11. मातृत्व का आँचल बढ़ता ही चला गया 12. युगशक्ति की प्राणप्रतिष्ठा गायत्री तपोभूमि में 13. कण-कण में समाया आत्मवत् सर्वभूतेषु का भाव 14. आराध्यसत्ता की साधनासंगिनी 15. शिव और शक्ति का अद्भुत अंतर्मिलन 16. संचालन-सामर्थ्य का लौकिक प्राकट्य 17. दिव्य साधनास्थली का चयन 18. भावपरक विदाई लेकर शांतिकुंज आगमन 19. सिद्धिदात्री माँ की प्रगाढ़ होती साधना 20. गुरुदेव की वापसी एवं प्राण प्रत्यावर्तन का क्रम 21. शांतिकुंज का समग्र सूत्र-संचालन 22. संतानों पर प्यार व आशीष लुटाने वाली माँ 23. महाशक्ति में समाने का शिव संकल्प 24. भाव-विह्वल, वियोग का महातप करने वाली माँ 25. प्राकट्य हुआ महाशक्ति की महिमा का 26. संस्कृति-संवेदना ने पाया राष्ट्रव्यापी विस्तार 27. प्रवासी परिजनों ने पाया भावभरा दुलार



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