ANTARJAGAT KE YATRA KA GYAN VIGYAN[PART-3]
Price: ₹ 60/-



Product Detail

Author Dr. Pranav Pandaya
Dimensions 14 cm x 21.5 cm
Edition 2016
Language Hindi
PageLength 232
Preface अन्तर्यात्रा का ज्ञान-विज्ञान युग ऋषि परम पूज्य गुरुदेव की अन्तर्चेतना में निमग्न होकर प्राप्त हुआ। सद्गुरु में समर्पण के प्रकाश में योगऋषि पतंजलि के सूत्रों का सत्य अनुभूति के रूप में प्रकाशित हुआ। यही अंतस की अनुभूति अन्तर्जगत की यात्रा का क्रिया विज्ञान भाग-१ व २ के रूप में पहले प्रकाशित की जा चुकी है। इसमें क्रमशः समाधि पाद एवं साधन पाद के सूत्रों के मर्म को उद्घाटित किया गया था। इन दो चरणो के पश्चात इसके तीसरे भाग में विभूतिपाद के सूत्रों का सत्य बोध प्रकाशित किया जा रहा है । पिछले दो भागों को पढ़ने वाले साधक जो इस रहस्यमय यात्रा में अपने साथ-साथ रहे, उन्हें इस अनूठी एवं रोमांचक यात्रा के अनुभव याद होंगे। उन्हें याद होंगे इस अन्तर्यात्रा के आरोह-अवरोह, इसकी अंधेरी-उजाली, कंकरीली-पथरीली, मखमली-रूपहरी सुनहरी राहें। जो कष्टप्रद भी रही होंगी और सुखप्रद भी। जिन्होंने अन्तर्यात्रा के पथिकों को कभी अवसाद से अप्रसन्न किया होगा, तो कभी उनमें प्रसन्नता का प्रकाश उडेला होगा। योग का साधना का पथ है ही ऐसा। इसके रहस्य व रोमांच का कभी अन्तनहीं होता। यही वजह है कि इस पर चलने वालों की रुचि कभी अरुचि में परिवर्तित नहीं होती ।
Size normal
TOC 1. ध्येय में मन की एकाग्रता है- धारणा 2. स्वयं का स्वयं के प्रति होश है- ध्यान 3. चित्त का ध्येय में विलय है- समाधि 4. धारणा, ध्यान, समाधि का एकत्व है संयम 5. संयम सिद्धि से होती है बुद्धि प्रकाशित 6. क्रमिक होती है संयम की साधना 7. अनूठी है संयम की विभूति 8. निष्कामता से खुलता है समाधि का द्वार 9. चित्त की चंचलता का रुपान्तरण है समाधि 10. दिव्यता की एक झलक से बदलती है दुनिया 11. अशान्ति का समाधान है एकाग्रता 12. भूत और भविष्य से मुक्त्त आज का आनन्द 13. हर पल परिवर्तन का नाम है - प्रकृति 14. निराकार से एकाकार होने का विज्ञान 15. योग विधियों से घटते हैं चित्त की भूमि में चमत्कार 16. कैसे होता है भूत और भविष्य का ज्ञान 17. भावों पर संयम से होता है सभी भाषाओं का ज्ञान 18. संस्कारों के ज्ञान से होता है जन्म-जन्मान्तरों का बोध 19. संयम से खुलते हैं दूसरों के मन के द्वार 20. समाधि से संभव है दूसरे के चित्त का सम्यक ज्ञान 21. अदृश्य होने का ज्ञान और विज्ञान 22. शब्दों के तिरोहित हो जाने का विज्ञान 23. कर्मों के संयम से मिलता है मृत्यु के क्षण का ज्ञान 24. मैत्री गुण के सधने से सधते हैं सारे गुण 25. संयम के सदुपयोग से होता है असंभव भी संभव 26. योगी की शक्त्ति है प्रज्ञा का प्रकाश 27. सूर्य पर संयम करने से होता है समस्त लोकों का ज्ञान 28. चन्द्रमा पर संयम से मिलती है अमरता 29. ध्रुव तारे पर संयम से होता है नक्षत्रों का ज्ञान 30. नाभि चक्र पर संयम से होता है जीवन का सम्यक्‌ ज्ञान 31. कण्ठ पर संयम से होता है क्षुधा पर नियंत्रण 32. कूर्म नाड़ी पर संयम से मिलता है परम एकत्व 33. ब्रह्मरंध पर संयम से होता है ब्रह्मज्ञानियों का ज्ञान 34. बुद्धि व बोध का समन्वय है प्रतिभा



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