Preface
हमारे युवाओं में कभी भी प्रतिभा क्षमता कीकमी नहीं रही है । आज भी उनके समक्ष अपार संभावनाएँ हैं । कुछ भी असंभव नहीं है । समस्या केवल यही है कि उन्हें अनेकानेक विकट एवं विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है । समाज में अनेक केकड़ा प्रवृतिके लोग उनकी टांग खीच कर नीचे गिराने हर समय तत्पर रहते हैं । यदि वे अपने मानव जीवन के उद्देश्य को भलीभाँति पहचान कर उचित पुरुषार्थ करेंगे तो वे अवश्यही इस काजल की कोठरी से बेदाग बाहर निकलने में सफलहो जाएंगे । इस पुस्तक के द्वारा युवावर्ग को यही संदेश देने का प्रयास किया गया है । थोडी़ सी समझदारी उनके जीवनको सफलता की स्वर्णिम आभा से आलोकित कर देगी । इस प्रकाश को अधिक से अधिक युवाओं तक अवश्य पहुँचाएँ ।
Table of content
१ वर्तमान चुनौतियाँ और युवावर्ग
२ युवावर्ग पर इसका प्रभाव
३ भविष्य की संभावनाएँ
४ क्या करें? कैसे करें ?
५ स्वयं को पहचानो
६ अपने भाग्य के निर्माता हम स्वयं
७ अपनी उलटी जीवनचर्या को पलट कर सीधा करें
८ लक्ष्य निश्चित करें
९ साधना, संयम, स्वाध्याय, सेवा
१० संस्कार बनें
११ गलतियों पर स्वयं को दंडित करें
१२ वर्तमान चुनौतियों में युवाओं से एकाकी साहस की अपेक्षा
१३ स्वतंत्रता संघर्ष की सूत्रधार युवा शक्ति
१४ विश्व इतिहास की महान क्रांतियों में युवा शक्ति
१५ नवनिर्माण का आधार-आदर्शनिष्ठ युवाशक्ति
१६ युवाशक्ति को भारत माता का आह्वान
Author |
Pandit Shriram Sharma Aacharya |
Edition |
2010 |
Publication |
Yug Nirman Yogana, Mathura |
Publisher |
Yug Nirman Yogana, Mathura |
Page Length |
32 |
Dimensions |
182mmX120mmX2mm |