Preface
"महिला जागृति अभियान' वंदनीया माता जी के संपादकत्व में अनेक वर्षों तक प्रकाशित होती रही है ।। इस पत्रिका के माध्यम से आत्म विस्मृति के गर्त में पड़ी नारियों को उबारने और पुरुषों को उनकी गरिमा व महिमा समझाने का वे निरंतर प्रयास करती रही हैं ।। उनके इन लेखों की उपयोगिता और महत्त्व आज भी उतना ही अधिक है जितना कि तब था ।। आज हमारे बीच उनके सशरीर न रहने के कारण उनके ये लेख नारी जागृति एवं उत्थान की दिशा में हमें विशेष रूप से प्रेरणा एवं उत्साह प्रदान करेंगे ।।
महिला जागरण एवं उन्हें, उनके बलात् अपहृत किए गए गरिमामय सिंहासन पर पुन: प्रतिष्ठित करना वंदनीया माताजी का स्वप्न रहा है और जीवन ध्येय भी ।। इसी तथ्य को ध्यान में रखकर हम इस श्रद्धांजलि वर्ष में "महिला जागृति अभियान' में प्रकाशित उनके लेखों को संकलित कर निम्नलिखित तीन पुस्तकों के रूप में प्रकाशित कर रहे हैं ।।
Table of content
1. नारी की गरिमा समझें और सम्मान दें
2. नारी को साथ लिए बिना प्रगति असम्भव
3. पुरुष अपना कर्तव्य निबाहें
4. पतिव्रत के साथ-साथ पत्निव्रत धर्म भी
5. पति होने का अहंकार त्यागिए
6. पुरुष प्रायश्चित के लिए आगे आयें
7. क्या बड़प्पन के लिए पुरुष ही एकाधिकृत है
8. पतिव्रत का कर्तव्य- मर्यादा क्या पत्नी के लिए
9. पति ही नहीं, पति के कर्तव्य भी हैं
10. सहधर्मिणी के प्रति कर्तव्य-निष्ठ रहिए!
11. पत्नी को दासी नहीं, साथी मानिए
12. जीवन संगिनी से मानवीय व्यवहार करें
Author |
Pt. Shriram Sharma Acharya |
Edition |
2015 |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistar Trust |
Page Length |
56 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |