Preface
नारी की महानता को समझें
नारी पुरुष की पूरक सत्ता है ।। वह मनुष्य की सबसे बड़ी ताकत है उसके- बिना पुरुष का जीवन अपूर्ण है ।। नारी ही उसे पूर्ण करती है ।। मनुष्य का जीवन अन्धकार युक्त होता है तो स्त्री उसमें रोशनी पैदा करती है ।। पुरुष का जीवन नीरस होता है तो नारी उसे सरस बना देती है ।। पुरुष के उजड़े हुए उपवन को नारी पल्लवित बनाती है ।।
इसलिए शायद संसार का प्रथम मानव भी जोड़े के रूप में धरती पर अवतरित हुआ था ।। संसार की सभी पुराण कथाओं में इसका उल्लेख है ।। हमारे प्राचीन धर्म ग्रंथ मनुस्मृति में उल्लेख है -
द्विधा कृताऽऽत्मनस्तेन देहमर्धेन पुरुषोऽभवत् ।।
अर्धेन नारी तस्या च विराजमसृजत्प्रभुः ।।
उस हिरण्यगर्भ ने अपने शरीर के दो भाग किये ।। आधे से पुरुष और आधे से स्त्री का निर्माण हुआ ।।
इस तरह के कई आख्यान हैं जिनसे सिद्ध होता है कि पुरुष और नारी एक ही सत्ता के दो रूप है और परस्पर एक दूसरे के पूरक हैं ।। फिर भी कर्त्तव्य, उत्तरदायित्व और त्याग के कारण पुरुष से नारी कहीं महान् है ।। वह जीवन यात्रा में पुरुष के साथ ही नहीं चलती वरन् उसे समय पड़ने पर शक्ति और प्रेरणा भी देती है ।। उसकी जीवन यात्रा को सरस, सुखद, स्निग्ध और आनन्दपूर्ण बनाती है ।। नारी पुरुष की शक्तियों के लिए उर्वरक खाद का काम देती है ।। महादेवी वर्मा ने नारी की महानता के बारे में लिखा है-
नारी केवल मांस पिण्ड की संज्ञा नहीं है, आदिम काल से आज तक विकास पथ पर पुरुष का साथ देकर, उसकी यात्रा को सफल बनाकर, उसके अभिशापों को स्वयं झेलकर और अपने वरदानों से जीवन में अक्षय शक्ति भरकर मानवी ने जिस व्यक्तित्व चेतना का विकास किया है उसी का पर्याय नारी है ।"
Table of content
नारी की महानता को समझें
स्त्री की हीनता समस्त समाज को हीन बनाती है
1.नारी को समुचित सम्मान एवं स्थान दीजिए
2.नारी को इस दुर्दशा में पड़ा न रहने दिया जाय
3.नारी को विकसितकिया जाना आवश्यक है
4.स्त्री शिक्षा की अनिवार्य आवश्यकता
Author |
Pt. Shriram Sharma Aacharya |
Publication |
Yug Nirman Yojna Trust, Mathura |
Page Length |
24 |
Dimensions |
12 X 18 cm |