Preface
हमारे जीवन का आधार जिन बातों पर है, उनमें आहार का स्थान प्रमुख है ।। वैसे हम वायु के बिना पाँच मिनट भी नहीं जी सकते; जल के बिना भी दो- चार दिन तक जीवन धारण कर सकना कठिन हो जाता है, तो भी इनकी प्राप्ति में विशेष प्रयत्न की आवश्यकता न होने से उनके महत्त्व की तरफ हमारा ध्यान प्राय: नहीं जाता ।। पर आहार की स्थिति इससे भिन्न है ।। यदि यह कहें कि अनेक मनुष्यों का जीवनोद्देश्य केवल आहार प्राप्त करना ही होता है और उनकी समस्त गतिविधियाँ केवल भोजन की व्यवस्था पर ही केंद्रित रहती हैं, तो इसमें कुछ भी गलती नहीं ।। सामान्य मनुष्य के लिए संसार में सबसे प्रथम और सबसे बड़ी आवश्यकता आहार की ही जान पड़ती है और महान से महान व्यक्ति को भी उसकी तरफ कुछ ध्यान देना ही पड़ता है ।। इस प्रकार आहार समस्या से हमारा संबंध बड़ा घनिष्ठ है ।। पर ऐसे महत्त्वपूर्ण विषय में भी सर्वसाधारण की जानकारी अत्यंत कम है ।। लोग अपनी रुचि का भोजन पा जाने से संतुष्ट हो जाते हैं अथवा परिस्थितिवश जो कुछ खाद्य पदार्थ मिल जाए उसी से काम चलाने का प्रयत्न करते हैं ।। पर वह भोजन हमारे लिए वास्तव में कितना अनुकूल और उपयोगी है? उससे जीवन- तत्त्वों की कहाँ तक उपलब्धि हो सकती है? हमारे देह और मन के विकास के लिए वह कितना लाभदायक है?
Table of content
1. स्वस्थ रहना है तो ये खाइए !
2. आहार के मूलतत्व
3. आहार के षटरस
4. भोजन के दो उपयोगी तत्व
5. क्षारों का महत्व और आवश्यकता
6. कृत्रिम भोज्य -पदार्थो से बचें
7. भोजन निस्सार न होने पावे
8. भाप पर भोजन पकाना
9. मनुष्य का स्वाभाविक आहार
10. कृत्रिमता का अभिशाप
11. अपना भोजन संतुलित रखिए
12. बेसेल भोजन की हानियाँ
13. भोजन का परिमाण
14. स्वास्थ्य हितकारी भोजन
15. भोजन के सामान्य नियम
Author |
Pandit Shriram Sharma Aacharya |
Edition |
2014 |
Publication |
Yug Nirman Yogana, Mathura |
Publisher |
Yug Nirman Yogana, Mathura |
Page Length |
32 |
Dimensions |
181mmX120mmX2mm |