Preface
शिक्षा का उद्देश्य केवल धन उपार्जन नहीं है, बल्कि बालक में छिपे हुए ईश्वर प्रदत्त गुणों एवं क्षमताओं को विकसित करना है। बालक का शारीरिक, बौद्धिक एवं नैतिक विकास होने पर ही वह एक योग्य नागरिक बन सकता है। आज की शिक्षा केवल बौद्धिक जानकारी देती है, किन्तु उसमें सेवा, विनम्रता, परोपकार जैसे गुणों का बीजारोपण नहीं कर सकती ।।
प्राचीनकाल में गुरुकुलों में जो पढ़ाई होती थी उससे बालक का सर्वांगीण विकास होता था, उसे महामानव स्तर का बनाकर अभिभावकों को सौंपा जाता था। शिक्षा के साथ विद्या का समावेश करना आज की महती आवश्यकता है ।। इस आवश्यकता को पूरा करने के लिये ही लार्ड बेडेन पावेल ने स्काउट की नींव रखी। स्काउट आन्दोलन एक समानान्तर शिक्षा तंत्र है, जिसके माध्यम से बच्चों में सेवा व परोपकार की भावना भरी जाती है। बच्चे को अपने प्रति, ईश्वर के प्रति तथा देश के प्रति अपने कर्तव्यों का बोध कराया जाता है। एक अच्छा स्काउट ही एक अच्छा नागरिक कहलाता है ।।
परम् पूज्य गुरुदेव पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी सदैव स्काउट भावना का आदर करते थे। भारत में स्काउट आदोलन को व्यापक बनाने का गुरुदेव का सपना अब साकार होता दिखाई दे रहा है। उनकी यह इच्छा थी कि युग निर्माण योजना के हर कार्यकर्ता को स्काउट की तरह चुस्त- दुरस्त, सेवा भावी तथा अनुशासित होना चाहिए ।। उन्होंने अपने साहित्य में अनेकों स्थान पर स्काउट के आदर्श एवं सिद्धांतों की चर्चा की है ।। जीवन साधना के १४ स्वर्णिम सूत्रों में तो स्काउट के १४ गुणों का ही विवेचन मिलता है ।। पारिवारिक पंचशील एवं चार सूत्र भी स्काउट भावना के अनुकूल है ।।
Table of content
१. भूमिका
२. स्काउट/गाइड का इतिहास
३. स्काउटिंग क्या है?
४. स्काउट/ गाइड के नियम एवं प्रतिज्ञाएँ
५. स्काउट/ गाइड प्रार्थना एवं झण्डा गीत
६. कुछ प्रेरक गीत
७. कुछ रोचक खेल
८. जीवन साधना के १४ स्वर्णिम सूत्र
९. पारिवारिक पंचशील
१०. उच्च मानसिकता के ४ सूत्र
११. सप्त क्रांतियों द्वारा सामाजिक परिवर्तन
१२. रोवर- रेंजर्स के दायित्व
१३. हमारा युग निर्माण सत्संकल्प
१४. नारे एवं जयघोष
Author |
Brahmavarchasva |
Publication |
Brahmavarchsva |
Page Length |
48 |
Dimensions |
12 X 18 cm |