Preface
पाकिस्तान कैंसर इन्स्टीट्यूट के एक प्रवक्ता ने बताया कि उस देश के कैंसर रोगियों में से ४३ .७ प्रतिशत केवल मुँह और गले के कैंसर के मरीज हैं ।। शेष ५६ प्रतिशत में अन्य समस्त अंगों के मिल कर कैंसर के मरीज आते हैं ।। मुँह के कैंसर का कारण उस देश में पान, बीड़ी का अधिक प्रचलन होना ही है ।।
दक्षिण अफ्रीका के मेडीकल रिसर्च इन्स्पीट्यूट के कैंसर विभाग के अध्यक्ष डॉ. ए. जी. पटेल ने कहा कि कैंसर के शोध और उपचार में खर्च होने वाली राशि तम्बाकू उत्पादनों पर भारी टैक्स लगाकर वसूल की जानी चाहिए क्योंकि वे ही कैंसर सदृश्य कितनी ही घातक बीमारियों के भी उत्पादक हैं ।।
अमेरिकन कैंसर सोसायटी ने डाक्टर ई. कूलर की अध्यक्षता में उस भयंकर रोग के कारणों की जांच कराई थी ।। उस शोध समिति ने ४२२, ०९४ व्यक्तियों के पास एक प्रश्नावली के आधार पर पूछ ताछ की तो पता चला कि कैंसर के मरीजों में अधिकांश वे थे जिन्होंने धूम्रपान की आदत पाल रखी थी ।।
दक्षिण अफ्रीका के डॉ. जिफेडीन ने अपनी खोज से यह निष्कर्प निकाला है कि ग्रामीणों की अपेक्षा शहरी लोग कैंसर से अधिक मात्रा में ग्रसित पाए जाते हैं ।। रोमन सर्जन डॉ. गल्लन कैंसर का कारण पित्त की खरीबी बताते हैं ।। टाटा मैमोरियल अस्पताल बम्बई के सर्जन डॉ. जस्सावाला का कथन है कि तम्बाकू पीना, खाना, शराब, पायरिया, अधिक मात्रा में भोजन, मानसिक विक्षोभ, गंदी हवा कैंसर के प्रधान कारण हैं ।।
Table of content
1. शीघ्र मरना हो तो ही तंबाकू का प्रयेाग करें
2. व्यक्ति और समाज को जर्जर करते ये दुर्व्यसन
3. धूम्रपान निषेध के विदेशी प्रयास
4. धूम्रपान छोड़ना कठिन नही
5. धीमी आत्महत्या की तैयारी -मद्यपान
6. मद्यपान के भयंकर दष्परिणामों को जानें
7. नशेबाजी अर्थात पलायनवाद
8. असाध्य रोगों कीजननी-शराब
9. विदेशों में मद्य निषेध के प्ररणास्पद प्रयास
10. पूर्ण मद्य निषेध-सर्वथा संभव
11. नशों के दुष्परिणाम रुग्णता,मूढ़ता एवं दरिद्रता
12. व्यसन मुक्ति आंदोलन
Author |
Brahmavarchasva |
Edition |
2014 |
Publication |
Brahmavarchsva |
Publisher |
Yug Nirman Yojna Trust |
Page Length |
72 |
Dimensions |
12 X 18 cm |