Preface
एक नागरिक प्रश्न करता है आर्य! वह कौनसी उपासना है जिससे जातीय जीवन गौरवान्वित होता है ? इस पर गोपथ ब्राह्मण के रचयिता ने उत्तर दिया -
"तेजो वे गायत्री छन्दसां तेजो रथन्तरम् साम्नाम्
तेजश्चतुविंशस्तो माना तेज एवं तत्सम्यक् दधाति
पुत्रस्य पुत्रस्तेजस्वी भवतिं"
हे तात्! समस्त वेदों का तेज गायत्री है सामवेद का यह छन्द ही २४ स्तम्भों का वह दिव्य तेज है जिसे धारण करने वालों की वंश परम्परा तेजस्वी होती है । हिन्दुओं के लिये अनिवार्य सन्ध्याबंदन की प्रक्रिया यही से प्रारम्भ होती है । इस ब्रह्म तेज को धारण करने वाली हिन्दू जाति को शौर्य साहस और स्वाभिमान की दृष्टि से कोई परास्त नहीं कर सका । यहाँ का कर्मयोग विख्यात है । यहाँ के पारिवारिक जीवन का शील और सदाचार यहाँ के वैयक्तिक जीवन की निष्ठायें जब तक मानव वंश है अजर-अमर बनी रहेंगी । यह गायत्री उपासना के ही बल पर था । यह दुर्भाग्य ही है कि कालान्तर में इस पुण्य परम्परा के बिश्रंखलित हो जाने के कारण जातीय जीवन निस्तेज और निष्प्राण होता गया किन्तु युग निर्माण योजना ने अब उस अन्धकार को दूर कर दिया है । लम्बे समय तक उसे अपनी आजीविका का साधन बनाकर बन्दीगृह में मिथ्या भ्रान्तियों में डाले रखकर उस महान विज्ञान से बंचित रखा गया । अब वैसा नहीं रहा । गायत्री उपासना का पुण्य लाभ हर कोई प्राप्त कर सकता है । प्रात: मध्यान्ह और संध्था साधना के विधान निश्चित हैं ।
अपनी सुविधा अनुसार कम या अधिक मात्रा में गायत्री उपासना का मुफ्त लाभ हर कोई भी ले सकता है । उससे उच्च स्तर का ब्रह्म तेज सिद्धि और प्राण को प्रचुर मात्रा अर्जित करनी हो, किसी सांसारिक कठिनाई को पार करना हो अथवा कोई सकाम प्रयोजन हो, उसके लिये गायत्री की विशेष साषनायें सम्पन्न करनी चाहिए ।
Table of content
1.
2. दो नवरात्रियाँ-गायत्री उपासना के दो अयाचित वरदान
3. सामूहिक साधना का उपयुक्त अवसर नवरात्रि पर्व
4. गायत्री अभियान साधना
5. गायत्री की उद्यापन साधना
6. मंत्र लेखन साधना
7. महिलाओं के लिए कुछ विशेष अनुष्ठान
8. चान्द्रायण तप की शास्त्रीय परंपरा
9. परम पवित्रता दायक चान्द्रायण तप
10. पाप पर से पर्दा हटाया जाय
11. चंद्रायण में केश काटने का संस्कार
Author |
Pt. shriram sharma |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
48 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |