Preface
विज्ञान की अधुनातन प्रगति और चंद्रमा तथा मंगल पर विजय जैसे अभियान निस्संदेह यह सिद्ध करते हैं कि मनुष्य संसार का सर्वश्रेष्ठ और बुद्धिशील प्राणी है, परंतु इसी कारण यह सृष्टि की सर्वोच्च सत्ता, सामर्थ्यवान इकाई नहीं हो जाता । विपुला प्रकृति के थोड़े-से रहस्य हाथ लग जाने पर मनुष्य अपने आपको प्रकृति और ईश्वर से भी बड़ा समझने लगा; लेकिन जब प्रकृति उसके सामने ऐसे सवाल कर देती है, जिन्हें वह सुलझा न सके, तब मनुष्य की क्षुद्रता और अल्प-सामर्थ्य का आभास होता है ।
प्रकृति के ऐसे ही रहस्यपूर्ण सवाल जहाँ-तहाँ बिखरे पड़े हैं और उनका हल आज तक कोई भी वैज्ञानिक या बुद्धिशील मेधावी नहीं कर सका ।
Table of content
1. ये रहस्य क्यों नहीं सुलझते
2. अद्भुत जगत् के अद्भुत रहस्य
3. पेड़-पौधों की विस्मयजनक गतिविधियाँ
4. जीवन पृथ्वी तक ही सीमित नहीं
5. देवलोक और असुरलोक देखना हो तो
6. शक्ति का स्रोत पदार्थ से परे है
7. प्रकृति उपभोग्य ही नहीं, उपास्य भी
Author |
Pt. Shriram sharma acharya |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
104 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |