Preface
प्रकति की रचना की परिपूर्णता मानव के चमत्कारिक विकास का एक ऐसा तथ्यपूर्ण स्पष्टीकरण है, जो जन-जीवन को अभिभूत कर देती है । प्रकृति की व्यवस्था अन्यतम है । जड़ प्रकृति के भीतर चेतना की क्रमबद्ध व्यवस्था का ऐसा चरम विकास मौजूद है, जिसकी झलक पाकर आज का भौतिक विज्ञान यह मानने के लिए बाध्य हो गया है कि उसे संपूर्णता के एक अंश का भी परिपूर्ण स्पष्टीकरण नहीं हो पाया है और प्रकृति के बहुत-से रहस्य आज भी अनजाने हैं ।
Table of content
1. प्रकृति की प्रत्येक रचना परिपूर्ण
2. प्रकृति की जीवन व्यवस्था
3. व्यवस्था और शक्ति का कहीं अभाव नहीं
4. अनुदान और दिशा प्रेरणा
5. पतन क्यों-उत्थान कैसे
6. रक्षक आप-भक्षक आप
Author |
Pt. shriram sharma |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
112 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |