Preface
उतावली न करें उद्विग्न न हों
इस जल्दबाजी से क्या फायदा
आतुरता और अधीरता की बुराई मनुष्य को बुरी तरह परेशान करती है ।। प्राय: हमें हर बात में बहुत जल्दी रहती है, जिस कार्य में जितना समय एवं श्रम लगना आवश्यक है उतना नहीं लगाना चाहते, अभीष्ट आकांक्षा की सफलता तुर्त- फुर्त देखना चाहते हैं ।। बरगद का पेड़ उगने से लेकर फलने- फूलने की स्थिति में पहुँचने के लिए कुछ समय चाहता है पर हथेली पर सरसों जमी देखने वाले बालकों को इसके लिए धैर्य कहाँ ?? यह आतुरता की बीमारी जन- समाज के मस्तिष्कों में बुरी तरह प्रवेश कर गई है और लोग अपनी आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए ऐसा रास्ता ढूँढना चाहते हैं, जिससे आवश्यक प्रयत्न न करना पड़े और जादू की तरह उनकी मनोकामना तुरंत पूरी हो जाए ।।
राजमार्ग छोड़कर लोग पगडंडी तलाश करते हैं, फलस्वरूप वे काँटों में भटक जाते हैं ।। हथेली पर सरसों जम तो जाती है पर उस सरसों का तेल डिब्बे में कोई नहीं भर पाया ।। बाजीगर रेत का रुपया बनाते हैं पर उन रुपयों से जायदाद नहीं खरीद पाते ।। कागज का महल खड़ा तो किया जा सकता है पर उसमें निवास करते हुए जिंदगी काट लेने की इच्छा कौन पूरी कर पाता है ? रेत की दीवार कितने दिन ठहरती है ??
सुख- शांति के लक्ष्य तक धर्म और सदाचार के राजमार्ग पर चलते हुए पहुँच सकना ही संभव है ।। यह रास्ता इतना सीधा है कि इसमें शार्टकट की, पगडंडी की गुंजाइश नहीं छोड़ी गई ।।
Table of content
1. इस जल्दबाजी से क्या फायदा
2. उतावली के दोष से बचिये
3. धैर्य रखिये-उतावली मत कीजिये
4. अधिरता मनुष्य की क्षुद्रता का चिन्ह है
5. चिन्तायें छोड़िये काम में जुटिये
6. आत्म-ग्लानि में मत डूबे रहिये
Author |
Pt Shriram sharma acharya |
Edition |
2015 |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
32 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |