Preface
धर्मप्राण- महामना
पं. मदनमोहन मालवीय जी
इलाहाबाद से चौक दो निकट एक गली में एक बीमार कुत्ता। पड़ा था ।। उसके चोट लगने से घाव हो गया था और उसमें कीडे पड़ कर उसे काटने लगे थे। इसकी पीड़ा से वह छटपटाता हुआ बुरी तरह चिल्ला रहा था। उसके करुण शब्द को सुन कर बहुत से राहगीर ठहर जाते थे, पर सिवाय तमाशा देखने के कोई और कुछ न करता था ।। बहुत हुआ तो कोई मौखिक सहानुभूति के दो- चार उद्गार प्रकट कर देता था। उसी समय एक दस- बारह वर्ष की आयु का बालक स्कूल से घर जाता हुआ यहीं आया और कुत्ते की पीड़ा को देख, कर दयार्द्र हो उठा। वह तुरंत थोड़ी दुर पर रहने वाले एक डॉक्टर के यहाँ पहुँचा और कुत्ते की पीड़ा का सब समाचार सुनाया। डॉक्टर भी सहृदय था उसने बालक की सद्भावना देख कर बिना मूल्य कुछ दवा दे दी कि इसे घाव पर लगा दो। बालक के पास आया उसके घाव पर दवा लगाने लगा। आरंभ में तेज दवा के कारण कुत्ते को अधिक पीड़ा हुई, तो वह गुर्राने और दाँत दिखाने लगा। कई दर्शकों ने कहा- " बच्चे, हट जाओ, वह तुमको काट लेगा ! क्या पता यह पागल भी हो।" पर वह बालक इस प्राणि- दया के कार्य से विरत नहीं हुआ और कुछ परिश्रम करके उसने दवा लगा ही दी।।
इस बालक का नाम था- मदनमोहन, जो आगे चल कर भारतवर्ष के एक महान, नेता "महामना मालवीय जी" के नाम से प्रसिद्ध हुआ ।।
Table of content
• शिक्षा प्रचार की लगन
• देश सेवा की लगन
• अभ्युदय का प्रकाशन
• लीडर की स्थापना
• मालवीय जी की धर्म भावना
• अस्पृशयता निवारण में सहयोग
• महानता तथा सर्वप्रियता
• मालवीय जी भिक्षुक के रूप में
• मालवीय जी और देशभक्ति
• परोपकार और उदारता
• धैर्य और ईश्वर विश्वास
Author |
Pt Shriram sharma acharya |
Edition |
2015 |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
32 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |