Preface
देश की युवा पीढ़ी के ऊपर दुहरी जिम्मेदारी हैं ।। जहाँ एक और उन्हें पुरानी पीढ़ी की गौरवपूर्ण विरासत को सहेजना है; वहीं उसमें अपनी भावधारा, श्रद्धा, प्राण शक्ति तथा अनुभव मिलाकर भावी पीढ़ी के हाथों सौंपना भी है ।। हमें हर्ष है कि हमारे युवा भाई - बहिन इस विशिष्ट उत्तरदायित्व को गम्भीरतापूर्वक वहन करने आगे आ रहे हैं ।।
पिछले कुछ वर्षों से देश के विभिन्न महत्त्वपूर्ण स्थानों पर युवा सम्मेलन - युवा चेतना शिविर के नाम से सम्पन्न हुए हैं ।। इन अवसरों पर भक्तिगीत्तों के साथ- साथ प्रेरक- प्रयाण गीत भी गाये जाते रहे हैं । श्री मंगल विजयवर्गीय हमारे मिशन के ऐसे कवि हैं जिनके प्रेरक गीत अखण्ड ज्योति पत्रिका में पिछले चालीस वर्षोंसे प्रकाशित होते रहे हैं । प्रस्तुत गीत वस्तुतः उनके द्वारा युवाओं के लिए ही लिखे गए अग्निगीत हैं ।।
इक्कीसवीं सदी युवाओं की है । परम्पूज्य गुरुदेव ने अपनी क्रांतिधर्मी पुस्तिका नवसृजन के निमित्त महाकाल की तैयारी में लिखा है कि इस सदीं के प्रारम्भिक पच्चीस वर्षों में इतना कुछ कार्य हो जाएगा कि विगत दो हजार वर्ष का कचरा बुहारा जा सके । इसके लिये उनने भी आशा की किरण भावनाशील प्रतिभावानों- युवाशक्ति के प्रतिनिधि प्राणवान को माना है । प्रस्तुत गीतों में गुरुसत्ता के इन्हीं भावों को अभिव्यक्ति देकर उनका आह्वान युवाओं तक पहुँचाने का प्रयास किया गया है ।
Table of content
• समूह गान
• जुझारु जवानों को संदेश
• जवानों से
• आह्वान
• देव संस्कृति विश्व विद्यालय आह्वान
• "शान्तिकुञ्ज अनुदान"
• "शाश्वत-युवा चेतना"
• जागरण गान
• युवा संकल्प
• तरुण संकल्प एवं संदेश
• विदेशवासी भारतीय तरुणों से
• बहुआयामी जवानी
• तरुणाई
• संकल्पित जवानी
• आत्मबोध
• जाग नव जवान रे
Author |
Pt Shriram sharma acharya |
Edition |
2011 |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
24 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |