Preface
दो शब्द
मनुष्य अनन्त -अद्भुत विभूतियों का स्वामी है ।। इसके बावजूद उसके जीवन में पतन -पराभव -दुर्गति का प्रभाव क्यों दिखाई देता है ? कारण एक ही है कि मनुष्य अपने लिए मानवीय गरिमा के अनुरुप उपयुक्त लक्ष्य नहीं चुन पाता ।।
वेदमूर्ति, तपोनिष्ठ, युगऋषि पं० श्रीराम शर्मा आचार्य ने ऋषियों के सनातन जीवन सूत्रों को वर्तमान युग के अनुरुप व्यावहारिक स्वरुप देकर प्रस्तुत किया है। उन सूत्रों का अध्ययन ,मनन ,चिन्तन, अनुगमन करके कोई भी व्यक्ति जीवन के श्रेष्ठ लक्ष्यों का निर्धारण करके उन्हें प्राप्त करने में सफल, समर्थ सिद्ध हो सकता है ।। जीवन को एक महत्त्वपूर्ण अवसर मानकर उसका सदुपयोग करने के इच्छुक हर नर- नारी के लिए इस संग्रह में संकलित विचार जीवन में सफलता ,सार्थकता प्रदायक सिद्ध हो सकते हैं।
- प्रकाशक
Table of content
1.उत्तिष्ठत् जाग्रत
Author |
Pt shriram sharma acharya |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
48 |
Dimensions |
9 cm x 12 cm |