Preface
यह भूलना नहीं चाहिए कि प्रगति किसी भी दिशा में क्यों न हो, उसका आधार प्रयत्न और पुरुषार्थ द्वारा उत्पन्न शक्ति ही होती है। शक्ति का उपार्जन एवं संचय, यही वह मार्ग है, जिस पर चलते हुए उन्नति के उच्च शिखर तक पहुँच सकना संभव होता है ।। इस तथ्य को लोग समझते भी हैं ।। तदनुरुप धनबल,शरीरबल, बुद्धिबल, संघबल आदि सामर्थ्यों को अपने - अपने ढंग से उपार्जित भी करते हैं। प्रत्यक्ष में यही थोड़े से बल हमारी जानकारी में आते हैं , इसलिए उन्हीं की ओर सर्वसाधारण का ध्यान केंद्रित रहता है। उन्हीं के उपार्जन में अपनी गतिविधियाँ लगी रहती हैं ।।
देखते हैं कि सभी अपने- अपने ढंग से प्रयन्तशील हैं और एक सीमा तक धन, विद्या एवं स्वास्थ्य भी पा लेते हैं ।।
Table of content
1.आत्मबल जीवन की सर्वोपरि संपदा
Author |
Pt. shriram sharma |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
32 |
Dimensions |
9 cm x 12 cm |