Preface
आद्य शंकराचार्य ने एक शास्त्रार्थ प्रयोजन में कामशास्त्र का अनुभव प्राप्त करने के लिए अपने शरीर में से आत्मा को निकालकर मृत सुधन्वा के शरीर में प्रवेश किया था ।। परकाया प्रवेश की इस प्रक्रिया का उद्देश्य पूरा होने पर वे पुन: अपने शरीर में वापस लौट आए थे ।।
रामकृष्ण परमहंस ने अपनी आत्मा का विवेकानंद में प्रवेश करा दिया था ।। परमहंस जी के स्वर्गवास के अवसर पर विवेकानंद को भान हुआ कि कोई दिव्यप्रकाश उनके शरीर में घुस पडा और उनकी नस- नस में नई शक्ति भर गई ।।
शंकराचार्य के उदाहरण से मृत शरीर पर किसी अन्य जीवात्मा का आधिपत्य हो सकने की बात प्रकाश में आती है और परमहंस जी के पकाया प्रवेश से जीवित मनुष्य में किसी समर्थ व्यक्तित्व के प्रवेश कर जाने का तथ्य सामने आता है ।। पकाया प्रवेश की आध्यात्म सिद्धियों के संदर्भ में चर्चा होती रहीं है ।। यह आंशिक और समान
रूप से पारस्परिक विनियोग की तरह संभव है ।। शक्ति- पात दीक्षा में गुर अपना एक अंश शिष्य के व्यक्तित्व में हस्तांतरित करता है ।।
Table of content
1. दैहिक सीमाओं से परे आत्मा का विचरण
2. असामान्य और विलक्षण किन्तु संभव और सुलभ
3. चाहे जो बन जाएँ, इतनी भर ही छूट है
4. मनुष्येतर प्राणी भी कम रोचक रहस्यमय नहीं
5. प्रकृति अनुसरण का पुरस्कार
6. अतींद्रिय क्षमताओं का आधार और विज्ञान
7. जो रहस्य है, वह इंद्रिय चेतना से परे
Author |
Pt Shriram sharma acharya |
Edition |
2011 |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
112 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |