Preface
शिक्षा की भाँति ही कला का प्रभाव मानव मन पर पड़ता है ।। उसमें भावनाएँ- संवेदनाएँ उभारने, प्रवृत्तियों को ढालने तथा चिंतन को मोड़ने एवं अभिरुचि को
दिशा देने की अद् भुत क्षमता भरी पड़ी है ।। संगीत, गायन, अभिनय, चित्र, साहित्य,कविता आदि के माध्यम से कला विकसित होती है। इसमें मनोरंजन ,सौदर्य - प्रवाह, उल्लास ,न जाने क्या- क्या तत्व भरे पड़े हैं, जो मानव मन को सम्मोहित कर बदलने-पलटने में अत्यधिक समर्थ सिद्ध होते हैं ।। कलाकारों ने राष्ट्रों और संस्कृतियों कोउठाया और गिराया है ।। कला अमृत भी है और विष भी। वह अपने जमाने के व्यक्ति और समाज को पतन के गर्त में भी डुबो सकती है और उत्थान के शिखर पर भी पहुँचा सकती है। शिक्षा से भी कला में अधिक सामर्थ्य है। शिक्षा का प्रभाव वर्षों में दीख पड़ता है,
Author |
Pt shriram sharma acharya |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
32 |
Dimensions |
9 cm x 12 cm |