Preface
व्यक्ति के निर्माण और समाज के उत्थान में शिक्षा का अत्यधिक महत्वपूर्ण योगदान होता है । प्राचीन काल की भारतीय गरिमा ऋषियों द्वारा संचालित गुरुकुल पद्धति के कारण ही ऊँची उठ सकी थी । पिछले दिनों भी जिन देशों ने अपना भला-बुरा निर्माण किया है, उसमें शिक्षा को ही प्रधान साधन बनाया है । जर्मनी, इटली का नाजीवाद, रूस और चीन का साम्यवाद, जापान का उद्योगवाद, यूगोस्लाविया, स्विटजरलेंड, क्यूबा आदिने अपना विशेष निर्माण इसी शताब्दी में किया है । यह सब वहाँ की शिक्षाप्रणाली में क्रातिकारी परिवर्तन लाने से ही सभव हुआ । व्यक्ति का बौद्धिकऔर चारित्रिक निर्माण बहुत करके उपलब्ध शिक्षा प्रणाली पर निर्भर करता है । व्यक्तियों का समूह ही समाज है । जैसे व्यक्ति होंगे वैसा ही समाज बनेगा ।किसी देश का उत्थान या पतन इस बात पर निर्भर करता है कि इसके नागरिक किस स्तर के है और यह स्तर बहुत करके वहाँ की शिक्षा-पद्धतिपर निर्भर रहता है ।
Table of content
सामाजिक कर्त्तव्य और व्यवहार
१ कर्त्तव्य परायणता अपनाएँ
२ असत्य व्यवहार से बचें
३ ईमानदारी का मार्ग अपनाएँ
४ हँसती और हँसाती जिंदगी
५ समाज का हित करें
६ सज्जनता और मधुर व्यवहार
७ नागरिक कर्त्तव्य पालन
८ व्यक्तिगत स्वार्थ और सामाजिक सुव्यवस्था
९ नवयुवकों में सज्जनेता और शालीनता
खण्ड - २
उत्कृष्ट जीवन के आधार
१० जीवन लक्ष्य समझें
११ कामनाग्रस्त न हों प्रगतिशील बनें
१२ स्वर्ग और मुक्ति का आनंद इसी जीवन में
१३ स्वाध्याय की अनिवार्यता
१४ स्वास्थ्य रक्षा
१५ स्वच्छता
१६ संयम से सुखी जीवन
१७ अनुचित से सहमत न हों
१८ औचित्य की सराहना करें
१९ धन का अपव्यय नहीं सदुपयोग करें
२० फैशन परस्ती एक ओछापन
२१ माँस का त्याग करें
२२ तम्बाकू का दुर्व्यसन छोडे़ं
खण्ड-३
सफलता के सोपान
२३ भाग्यवाद हमें नपुसक और निर्जीव बनाता है
२४ बौद्धिक परावलंबन का परित्याग
२५ विचार शक्ति और अपना महत्त्व समझे
२६ आलस्य त्यागें और समय का सदुपयोग करें
२७ अवरोध से अधीर न हों
२८ आवेशग्रस्त न हों
२६ छात्र अपना भविष्य निर्माण आप करें
खण्ड-४
परिवार व्यवस्था और संस्कार
३० सुविकसित परिवार के लिए सुव्यवस्था
Author |
Pandit Shriram Sharma Aacharya |
Edition |
2010 |
Publication |
Yug Nirman Yogana, Mathura |
Publisher |
Yug Nirman Yogana, Mathura |
Page Length |
228 |
Dimensions |
179mm X121mm X 10mm |