Preface
युग परिवर्तन का संधिकाल यह नूतन निर्माणों का महापर्व है । युग निर्माण मिशन के साहित्य के द्वारा जीवन केप्रत्येक क्षेत्र में नया प्रकाश भरा जा रहा है, जिससे मानव कल्याणकारी तथा शांतिप्रद परिस्थितियाँ पा सके । मानवी चिंतन को परिवर्तित तथा परिवर्द्धित करके उसे अधिक से अधिक महान तथा उपयोगी बनाया जा रहा है । इस दिशामें हमारा ध्यान बच्चों को ओर जाना स्वाभाविक तथा अनिवार्य भी है । मिशन की निष्ठावान कवियित्री श्रीमती माया वर्मा ने इस वस्तुस्थिति की महानता को समझा और बाल-नीति शतक के रूप में यह गुलदस्ता देश की बाल पीढ़ीको समर्पित किया है ।
बच्चे ही संपूर्ण राष्ट्र का भविष्य होते हैं । उनमें हम जैसी और जितनी दमक भरेंगे । हमारा भविष्य उतना ही प्रखर प्रांजल तथा गरिमामय होगा । आशा है कि हमारी, उगते अंकुरों की पीढ़ी इससे लाभ उठाएगी तथा इस गंधको अधिक से अधिक फैलाने का भी प्रयास करेगी ।
Table of content
1. बाल निति शतक
2. भेड़िया और बकरी
3. हारिए न हिम्मत
Author |
Pandit Shriram Sharma Aacharya |
Edition |
2011 |
Publication |
Yug Nirman Yogana, Mathura |
Publisher |
Yug Nirman Yogana, Mathura |
Page Length |
32 |
Dimensions |
182mm X121mm X 1mm |