Preface
जागृत जिज्ञासा एवं सतत स्वाध्याय व्यक्तित्व - विकास के अमोघ उपाय
शीघ्र मृत्यु से बचना है तो मानसिक व्यायाम कभी भूलकर भी बंद न करें ।। मानसिक व्यायाम अर्थात् स्वाध्याय का अर्थ कुछ भी पढ़ना नहीं ।। जो विषय आप नहीं जानते उसका अध्ययन कीजिए ।। किसी ऐसे विषय का अध्ययन कीजिए, जिससे आपको अपनी खोपड़ी खुजानी पड़े ।।
यह शब्द अमेरिका के ६७ वर्षीय डॉ० श्वार्टज के हैं ।। डॉ० श्वार्टज का कहना है कि मनुष्य की मृत्यु वृद्धावस्था के कारण नहीं होती, मानसिक संस्थान की क्रियाशीलता के रुकने के कारण होती है ।। जो लोग निरंतर क्रियाशील रहते हैं, उनकी आयु लंबी होती है ।। यही नहीं वे अपने अनेक शारीरिक विकारों को भी दाब बैठते हैं, उन पर शारीरिक त्रुटियों का भी दुष्प्रभाव परिलक्षित नहीं होने पाता ।।
डॉ० श्वार्टज के मत के अनुसार अपने देश के ऋषियों, महर्षियों के जीवन का अध्ययन करें तो विश्वास हो जाएगा कि उनके दीर्घायुष्य का कारण उनकी मनोचैतन्यता ही थी ।। शारीरिक श्रम के साथ मे मानसिक दृढ़ता और विचारशीलता के कारण वे सैकडों वर्षा की आयु हँसते हुए जीते थे ।।
अपने कथन पुष्टि में डॉ० श्वार्टज ने एक ८४ वर्षांय अमेरिकन व्यापारी को प्रस्तुत किया, इस व्यापारी में अपने व्यापार के लिए नई- नई बातें खोजने की क्षमता है ।। यह अपने मस्तिष्क को सदैव कुरेदता और विचारता रहता है; जब कभी विचार ढीले पड़ जाते हैं, तब वह पढ़कर फिर सोचने के लिए नए विचार पैदा कर लेता है ।। विचारों की शाखाएँ प्रशाखाएँ फूटती रहें, इसके लिए उसके जीवन में कर्म का समन्वय है अर्थात् वह जितना सोचता- विचारता है,उतना ही क्रियाशील भी है ।।
Table of content
• जागृत जिज्ञासा एवं सतत स्वाध्याय व्यक्तित्व-विकास के अमोघ उपाय
• स्वाध्याय जीवन विकास की अनिवार्य आवश्यकता
• उत्तम पुस्तकें जाग्रत देवता है, उनकी नियमित उपासना करें
• अपने रहने की दुनियाँ आप बनाएँ
Author |
Pt shriram sharma acharya |
Edition |
2015 |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
56 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |