Table of content
• आत्मसत्ता और उसकी महान महत्ता
• हमारा जीवनलक्ष्य-आत्मदर्शन्
• जीवनोद्देश्य से विमुख न हों
• येनाहम नामृतास्याम किमहम तेन कुर्याम
• शरीर का ही नहीं, आत्मा का भी ध्यान रखें
• अमर हो तुम, अमरत्व को पहचानो
• मन से छीनकर प्रधानता आत्मा को दीजिए
• मनुष्य और उसकी महान शक्ति
• जीवन का दूसरा पहलू भी भूलें नही
• आत्मा की पुकार अनसुनी न करें
• आत्मा की पुकार सुनें और उसे सार्थक करें
• आत्म-ज्ञान की आवश्यकता क्यों ?
• आत्म ज्ञान से ही दु:खों की निवृत्ति संभव है
• सत्यं शिवं सुन्दरम हमारा परम लक्ष्य
• शक्ति के स्रोत - आत्मा को मानिए
• आत्मा को जानिए
• आत्म-शक्ति का अकूत भंडार
• शक्ति का स्रोत हमारे अंदर है
• सच्चे हृदय से आत्मा का उद्बोधन करें
• चेतन, चित्त-न, चिंतन
• आत्मा और परमात्मा का संबंध
• ईश्वर अंश जीव अविनाशी
• परमात्मा को जानने के लिए अपने आप को जानो
• अहम और उसकी वास्तविक सत्ता
• बिंदु में सिंधु समाया
• अपूर्णता से पूर्णता की ओर
• क्या आत्म-कल्याण के लिए गृह त्याग आवश्यक है ?
• आत्म-बल हमारी सबसे बड़ी बैभव-विभूति
• गहरे पानी पैठ, जिन खोजा तिन पाइयाँ
• आत्म-विकास के लिए व्रतपातलन की आवश्यकता
Author |
Pt. shriram sharma |
Edition |
2009 |
Publication |
yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
152 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |