Preface
संसार में दो प्रकार के मनुष्य होते हैं, एक वह जौ शक्तिशाली होते हैं, जिनमें अहंकार की प्रबलता होती है ।। शक्ति के बल पर वे किसी को भी डरा- धमकाकर वश में कर लेते हैं ।। कम साहस के लोग अनायास ही उनकी खुशामद करते रहते हैं किंतु भीतर- भीतर उन पर सभी आक्रोश और घृणा ही रखते हैं ।। थोडी सी गुँजाइश दिखाई देने पर लोग उससे दूर भागते हैं, यहीं नहीं कई बार अहंभावना वाले व्यक्ति पर घातक प्रहार भी होता है और वह अंत में बुरे परिणाम भुगतकर नष्ट हो जाता है ।। इसलिए शक्ति का अहंकार करने वाला व्यक्ति अंततः बड़ा ही दीन और दुर्बल सिद्ध होता है ।।
एक दूसरा व्यक्ति भी होता है- भावुक और करुणाशील ।। दूसरों के कष्ट, दुःख, पीड़ाएँ देखकर उसके नेत्र तुरंत छलक उठते हैं ।। वह जहाँ भी पीड़ा, स्नेह का अभाव देखता है, वहीं जा पहुँचता है और कहता है लो मैं आ गया- और कोई हो न हो, तुम्हारा मैं जो हूँ। मैं तुम्हारी सहायता करूँगा, तुम्हारे पास जो कुछ नहीं है, वह मैं दूँगा ।। उस प्रेमी अंत:करण वाले मनुष्य के चरणों में संसार अपना सब कुछ न्यौछावर कर देता है, इसलिए वह कमजोर दिखाई देने पर भी बड़ा शक्तिशाली होता है ।। प्रेम वह रचनात्मक भाव है, जो आत्मा की अनंत शक्तियों को जाग्रत कर उसे पूर्णता के लक्ष्य तक पहुँचा देता है ।। इसीलिए विश्व- प्रेम को ही भगवान की सर्वश्रेष्ठ उपासना के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है ।।
Table of content
• पढ़ै सो पंडित होय-ढाई अक्षर प्रेम के
• प्रेम संसार का सर्वोपरि आकर्षण
• प्रेम और उसकी शक्ति
• प्रेम समस्त सद्प्रेरणाओं का स्रोत
• प्रेम जगत का सार और कुद सार नहीं
• प्रेम का अमृत और उसकी उपलब्धि साधना
• मानव जीवन का अमृत : प्रेम
• प्रेम का अमृत मधुरतम है१३
• आनन्द का मूल स्रोत प्रेम ही तो है
• गर न हुई दिल में इश्क की मस्ती
• प्रेम साधना द्वारा आन्तरिक उल्लास का विकास
• प्रेम का अमृत और उसका प्रतिदान
• प्रेम और सेवा ही तो धर्म है
• आत्मजागृति की अमर साधना : प्रेम
• प्रेम की परख-प्रेम की परिणति
• तुलसी प्रेम पयोधि की ताते माप न जोख
• सृष्टि का विकास प्रेम से ही सम्भव
• प्रेम की आश्श, प्रेम की प्सास, पशु-पक्षियों के भी पास
Author |
Pt Shriram sharma acharya |
Edition |
2010 |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
176 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |