Preface
“युवा क्रान्ति पथ” पर चलकर राष्ट्रीय जीवन में महापरिवर्तन ला सकते हैं । पर इसकी शुरुआत उन्हें अपने से करनी होगी । अपने अंन्तस् में कहीं छुपी-दबी क्रान्ति की चिंगारियों को फिर से दहकाना होगा । व्यवस्थाएँ बदल सकती हैं, विवशताऐं मिट सकती हैं, पर तब जब युवा चेतना में दबी पड़ी क्रान्ति की चिन्गारियाँ महाज्वालाएँ बनें । इनकी विस्फोटक गूंज पूरे राष्ट्र में ध्वनित हो । इनके प्रकाश व ताप को देखकर विश्व कह उठे-युवा भारत जाग उठा है । दुनिया की कोई शक्ति और उसके द्वारा खड़े किए जाने वाले अवरोध अब उसकी राह नहीं रोक सकते ।
इस पुस्तक की प्रत्येक पंक्ति लिखने वाले की अनुभूति में डूबी है । लिखते समय कई अतीत बन चुकी किशोर वय और अभी कुछ ही दूर पीछे छूटी युवावस्था बार-बार चमकी है । युगऋषि परम पूज्य गुरुदेव कृपा किरणें बार-बार अन्तःकरण में क्रान्तिबीज बनकर फूटी हैं । जलते-तड़पते हुए हृदय की भावनाओं की स्याही से इसे लिखा गया है । सवाल यह है कि क्या देश के युवा भी इसे भावनाओं में भीग कर पढ़ेंगे ? क्या उनकी तरुणाई कुछ विशेष करने को अकुलाएगी ? इन प्रश्रों के जवाब में कहीं अन्तरिक्ष में “हां” की गूंज सुनायी देती है । अपना अन्तःकरण जितना अनुभव कर पाता है-उससे यही लगता है कि सर्वनियन्ता युग देवता, महाकाल युवाओं को क्रान्तिपथ पर चलाना चाहते हैं ।
समस्याओं की परिधि व्यक्तिगत हो या पारिवारिक सामाजिक-राष्ट्रीय हो अथवा वैश्विक युवा शक्ति इनका समाधान करने में कभी नहीं हारी है । रानी लक्ष्मीबाई, वीर सुभाष, स्वामी विवेकानन्द, शहीद भगतसिंह के रूप में इसके अनगिनत आयाम प्रकट हुए हैं । यह प्रक्रिया आज भी जारी है ।
Table of content
1. युवा चेतना राजनीति में परिवर्तन लाए
2. पूरा विश्व बने एक विद्यालय
3. युवाओं का श्रेष्ठ आचार्यों के साथ समन्वय
4. समृद्धि को पराकाष्ठा पर पहुँचाते भारत के युवा
5. ग्रामोत्थान को समर्पित एक युवा
6. जनक्रान्ति लायेंगे हम मीडिया द्वारा
7. आध्यात्मिक प्रबंधन के सीखे जायँ गुर
8. युवा शक्ति साधक बनें
9. स्वाध्याय-सत्संग दैनिक जीवन का अंग बन
10. संस्कृति संवेदना को युवतियाँ जनव्यापी बनाए
11. करें भागीदारी विचार क्रान्ति अभियान म
12. चिरयुवा हमारे गुरुदेव
13. एक साहसी जीवन संगिनी
14. युवा हो चला भारत देश हमारा
15. राष्ट्र कुण्डलिनी युवा महाशक्ति का जागरण
16. युवाओं की गढ़ने की टकसालः देव विश्वविद्यालय
17. समग्र क्रान्ति हेतु युवाशक्ति का भाव भरा आह्वान
18. युवा शक्ति
19. सार्थक यौवन के लिए चाहिए आध्यात्मिक दृष्टि
20. इतिहास साक्षी है युवा शौर्य का
21. प्रकाशदीप हैं ये संस्मरण
22. कौन हो युवाओं का आदर्श ?
23. समझें युवा मन का दर्द
24. दिशाहीनता और भटकाव, क्या हो समाधान ?
25. रोजगार राष्ट्रीय कर्त्तव्य है, यह जातिवाद से न जुड़ने पाए
26. स्वरोजगार: जहाँ चाह वहाँ राह
27. नैतिकता के टूटते तटबंधों के बीच कुछ सतप्रयास
28. भावनात्मक भटकन से उबरें युवा
29. सोच में आ रहा आध्यात्मिक परिवर्तन
30. जीवन लक्ष्य कैसे मिले ?
31. हो संकल्प शक्ति का विकास
32. सहयोग-सद्भाव का एक अनौखा उदाहरण
33. राष्ट्र निष्ठ-प्रेरणा स्रोत ये युव
34. संस्कृति बनाती है संस्कारवान
35. होगी, अवश्य होगी क्रान्त
36. जरूरत है फिर युग भागीरथों की
Author |
Dr Pranav pandaya |
Edition |
2015 |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
132 |
Dimensions |
14 cm x 21.5 cm |