Preface
"मनुष्यता समय-समय पर ऐसी आश्चर्यजनक करवटें लेती रही है, जिसके अनुसार देव मानवों का नया बसन्त, नयी कोपलें, नई कलियों और नए फल-फूलों की सम्पदा लेकर सभी दिशाओं में अट्टहास करता दीख पड़ता है ।"
क्रान्ति की ये करवटें परिवर्तन का प्रचण्ड प्रवाह उत्पन्न करती हैं । जिसमें जाने- अनजाने, चाहे-अनचाहे सभी इसके साथ बहने के लिए विवश हो जाते हैं । स्वाधीनता संग्राम के दिनों में भी ऐसी ही हलचलें, ऐसा ही प्रवाह उत्पन्न हुआ था । इसके बारे में उन दिनों महाराष्ट्र के सन्त गजानन महाराज से उनके एक भक्त ने पूछा- महाराज! इन दिनों जो हलचलें हो रही हैं, उससे लगता है कि कोई बड़ी क्रान्ति होने को है ।
गजानन महाराज पहले तो गम्भीर बने रहे फिर बोले- यह तो बस पृष्ठभूमि है । बड़ी क्रान्ति-महाक्रान्ति का बीजारोपण तो सन् १९११ में अवतारी महामानव के जन्म के साथ होगा । तब देश और दुनिया में ये हलचलें तीव्र से तीव्रतर और तीव्रतम होती जाएँगी । बड़े विप्लव खड़े होंगे, युद्ध और महायुद्धों की विभीषिकाएँ जन्म लेगी ।
Table of content
1. क्रान्ति की करवट
2. महेश्वर महाकाल स्वयं हैं नियन्ता
3. क्रान्ति का अनवरत प्रवाह है अपना मिशन
4. क्रान्ति के स्वर फूटे सरदार के मुँह से
5. कैसी होगी अगली क्रान्ति
6. सृजन की क्रान्ति होगी भारत से
7. जीवन शैली में उठ रही परिवर्तन की लहर
8. होने जा रही है पारिवारिक क्रान्ति
9. मातृत्व की भावना जागे, नारी सार्थक परिवर्तन लाए
10. जीवन का वसंत है जवानी
11. मिटे अस्वस्थता का ग्रहण
12. ज्वाला बन रही है शिक्षा क्रान्ति की चिनगारी
13. कला एवं साहित्य में पैदा हो समझ
14. संवेदनसिक्त सिनेमा बदले जीवन दिशा
15. आ रहा है आर्थिक समता का युग
16. उम्मीद जगी है सक्रिय न्यायपालिका से
17. आ रही है राजनीति में पारदर्शिता
18. समाधान बन्दूकों में नहीं, विचारों में है
19. पत्रकारिता बने एक पावन मिशन
Author |
Dr Pranav pandaya |
Edition |
2011 |
Publication |
yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
144 |
Dimensions |
14 cm x 21.5 cm |