Preface
आमतौर पर ६०-७० वर्ष से अधिक आयु के संबंध में यह माना जाता है कि इस उम्र में मनुष्य की जीवनी शक्तियाँ चुकने लगती है । लोग इस आयु में मृत्यु की प्रतीक्षा करने लगते हैं और जीवन से हताश होकर निष्क्रिय, निद्रित, मरणोन्मुख मृत प्राय: जिंदगी जीने लगते हैं । वास्तविकता यह है कि मनुष्य की पूर्ण आयु १०० वर्ष की निर्धारित की गई है । ऋषियों ने भी मनुष्य की आयु के चार भाग करके उसे चार आश्रमों में बाँटकर क्रमश: व्यक्तिगत पारिवारिक तथा सामाजिक उत्तरदायित्वों को पूरा करने के निर्देश दिए थे, किंतु इन दिनों थोड़े ही व्यक्ति ऐसे होते हैं जो ६०-७० की आयु पार करते हैं । ऐसे व्यक्तियों की गिनती तो उङ्गली पर की जा सकती है, जिन्होंने सौ वर्ष की जिंदगी देखी और जी है । पिछले दिनों अमरीका में हुई जनगणना के अनुसार वहाँ २१ हजार व्यक्ति ऐसे थे जो सौ वर्ष की आयु पार कर चुके थे और इसके बाद भी वे सक्रिय थे ।
इतनी लम्बी अवधि तक कैसे जीवित रहा जा सका ? और कैसे क्रियाशील जीवन व्यतीत किया गया ? इसका उत्तर प्राप्त करने के लिए डॉ० आर्ष गौलुक और डॉ० एपिन हिल ने खोजबीन की, उन्होंने २१ हजार व्यक्तियों में से ४०० ऐसे व्यक्तियों को चुना जो सौ वर्ष की आयु पार कर चुके थे और उसी प्रकार व्यस्त जिंदगी बिता रहे थे, जैसी कि अन्य लोग ५०- ६० की आयु में बिताया करते हैं । इन ४०० व्यक्तियों में १५० पुरुष थे और २५० महिलाएँ थीं । महिलाओं की संख्या इसलिए अधिक रखी गई कि देखा गया था, पुरुषों की अपेक्षा महिलाएँ ही अधिक दीर्घजीवी होती हैं ।
Table of content
• जीवन-रस को छककर पीते ये चिर-युवा
• दिर्घोयुष्य का रहस्य प्राकृतिक जीवन क्रम
• आयु एवं स्वास्थ्य शरीर पर नहीं, मन पर निर्भर
• मन:स्थिति सम्भालिएआयुष्य का आनन्द लीजिए
• ये भ्रान्तिपूर्ण मान्यताएँ मिटेंगी तो ही शरीर स्वस्थ होगा
• आहार पोषक ही नहीं,शुद्ध भी हो
• आसन-व्यायाम:स्वस्थ व पुष्ट शरीर के लिए अत्यन्त अनिवार्य
• सूर्य सेवन से जीवनी शक्ति बढाएं
• जडी-बूटी प्रयोग-उपचार की एक पूर्णत: नैसर्गिक विद्या
Author |
Brahmvarchas |
Edition |
2014 |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
64 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |