Preface
योग व्यायाम :- दिशा और धारा
स्वस्थ और सुखी जीवन मनुष्य की प्रमुख आवश्यकता रही है ।। समाज के किसी भी स्तर में रहने वाला व्यक्ति स्वस्थ सुखी जीवन की आवश्यकता अनुभव करता ही है ।। स्वास्थ्य केवल शारीरिक ही नहीं मानसिक और आत्मिक भी होता है ।। जो लोग केवल शरीर को स्वस्थ रखकर स्वस्थ और सुखी जीवन का लाभ लेना चाहते हैं, वह सफल नहीं हो पाते ।। भारतीय जीवन पद्धति तो हमेशा से शारीरिक मानसिक, आत्मिक स्वास्थ्य का महत्त्व दर्शाती रही है ।। आज के चिकित्सा विज्ञानी भी रोगों का कारण शरीर के अलावा मन में खोजने लगे हैं ।।
समग्र स्वास्थ्य के लिये योग युक्त जीवन पद्धति का समर्थन और विकास ऋषियों ने किया है ।। योग युक्त जीवन पद्धति में अपनी इच्छाएँ कामनाएँ विचार, शारीरिक चेष्टाएँ आहार- विहार, विश्राम और श्रम यह सब शामिल होते हैं ।। आजकल योगा के नाम पर जो प्रचलन चला है, उसमें लोग केवल शारीरिक व्यायाम तक ही योग को सीमित मान लेते हैं ।। इसलिये समग्र जीवन को स्वस्थ और सुखी बनाने के प्रयास उतने सफल नहीं होते, जितने होने चाहिये ।।
युग निर्माण अभियान जिसे प्रत्यक्ष रूप में गायत्री परिवार चला रहा है, ऋषि चिंतन से उभरा हुआ एक व्यापक आन्दोलन है, जिसमें स्वस्थ शरीर, स्वच्छ मन और सभ्य समाज विकसित करना अभीष्ट माना गया है ।। इसमें स्वस्थ शरीर चूँकि पहला सूत्र है इसलिये उस दिशा में भी काफी कुछ शोध और प्रचार कार्य किया गया है ।। इस पुस्तिका में विशेष रूप से जन सामान्य के लिये उपयोगी व्यायाम सुझाये गये हैं
Table of content
• योग व्यायाम : दिशा और धारा
• योग व्यायाम
• प्रज्ञा योग व्यायाम
• प्राणायाम
• उषापान जल प्रयोग (वाटर थेरेपी)
• शिवसंकल्पोपनिषद्
Author |
Pt shriram sharma acharya |
Edition |
2015 |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
32 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |