Preface
भारत में जड़ी-बूटियों का उपयोग अत्यन्त प्राचीन काल से होता रहा है। घरों के आस-पास तथा सड़कों एवं नदियों के किनारे बहुत से पौधे, लता, झाड़ी, गुल्म मौजूद होते हैं। जिन्हें जड़ी- बूटियों के नाम से जाना जाता है। लोग इन पौधों को विभिन्न क्षेत्रीय नामों से भी जानते हैं, लेकिन अस्वस्थ होने पर आधुनिक हानिकारक चिकित्सा पद्धतियों का सहारा लेते हैं, जबकि दवा उनके घर के आस-पास ही वनस्पतियों के रूप में मौजूद रहती है ।।
जड़ी-बूटियों की दिव्यता इस घटना से भी ज्ञात होती है- रामचरित मानस में लक्ष्मण जी के मूर्च्छित हो जाने पर हनुमान जी द्वारा पर्वत से संजीवनी बूटी लाना तथा लक्ष्मण जी के स्वस्थ होने की बात सभी पढ़ते हैं। आयुर्वेद के महान् शोधकर्ता जीवक (जिन्होंने भगवान बुद्ध का उपचार किया था ) ने जड़ी-बूटियों की उपयोगिता के सम्बन्ध में लम्बे समय तक शोध करने के पश्चात निष्कर्ष दिया कि कोई भी जड़ी-बूटी ऐसी नहीं है, जो प्राणी मात्र के लिए स्वास्थ्यवर्द्धक एवं जीवन रक्षक न हो अर्थात् प्रत्येक जड़ी-बूटी जीवनोपयोगी पायी गयी।
Author |
Pandit Shriram Sharma Aacharya |
Edition |
2015 |
Publication |
Yug Nirman Yogana, Mathura |
Publisher |
Yug Nirman Yogana, Mathura |
Page Length |
40 |
Dimensions |
120mmX181mmX2mm |