Preface
उदात्त संत कवि- ऐन शाह
मुगल वंश के पतन का दौर आरंभ हो चुका था ।। मुगल साम्राज्य धीरे- धीरे संकुचित होता जा रहा था ।। उन्हीं दिनों की बात है ।। दिल्ली के विख्यात मुस्लिम संत हजरत फिदा हुसेन के एक मुरीद अपने गुरु से अरबी- फारसी भाषाएँ तथा मुस्लिम दर्शन का शिक्षण प्राप्त कर चुके तो उन्हें भारतीय धर्म व दर्शन का ज्ञान प्राप्त करने की प्रबल जिज्ञासा उत्पन्न हुई ।। उन्होंने अपने गुरु से इस संबंध में आज्ञा चाही, 'हजरत! मैं भारतीय धर्म व दर्शन के अध्ययन की इच्छा रखता हूँ ।। क्या आप इसकी आज्ञा देंगे ।' ' क्यों नहीं बेटा! यह तो तुमने बड़ी अच्छी बात कही है ।। ज्ञानार्जन तो मनुष्य की स्वाभाविक भूख होती है ।। इसकी तृप्ति में मैं क्यों बाधक बनूँ ?'
हजरत फिदा हुसेन का यह ऐन शाह नामक शिष्य उसी दिन से भारतीय धर्मग्रंथों के अध्ययन, चिंतन में प्रवृत्त हुआ तो वह विशुद्ध रूप से भारतीय ही बनकर रह गया ।। हिंदू धर्म व संस्कृति का जो उदात्त स्वरूप उन्होंने देखा, वह अद्भुत व अपूर्व था ।। उन्हें यह धर्म व संस्कृति एकदेशीय नहीं सार्वभौमिक व चिरंतन लगी ।। उन्होंने उसे पूरी तरह आत्मसात कर लिया ।।
ऐन शाह ऐसे पहले व्यक्ति नहीं थे, जो भारतीय धर्म व दर्शन से इस प्रकार प्रभावित हुए हों ।। रहीम, रसखान, जायसी तथा अन्य कई सूफी संतों पर भारतीय धर्म, दर्शन, संस्कृति व अध्यात्म का गहरा प्रभाव पड़ा था ।।
Table of content
• उदात्त संत कवि ऐन शाह
• भक्ति मार्ग के अविचल पथिक सनम साहब
• धर्म सहिष्णु सुल्तान जैनुल आब्दीन
• हिंदू मुसलिम एकता के प्रतीक अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर
• अनीति के जन्मजात विरोधी मौलवी अहमदुल्ला
• निस्वार्थ सेवासाधक हकीम अजमल खाँ
• स्वाधीन भारत के स्वप्नदृष्टा बदरुद्दीन तैयबजी
• एक अपराजेय देशभक्त खान अब्दुल गफ्फार खाँ
• भारतीय संस्कृति के सेवक जुहूरबख्श
• सांप्रदायिकता के कट्टर विरोधी मौलाना मजहरूलहक
• निस्पृह लोकसेवी डॉ अंसारी
• धार्मिक उदारता के प्रतीक डॉ जाकिर हुसैन
• एक सच्चे जनसेवक काजी जी
Author |
Pt. shriram sharma |
Edition |
2011 |
Publication |
yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
80 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |