Preface
भारतीय संस्कृति का जन्म व्यक्ति को तथा समाज को सुसंस्कृत बनाने की दृष्टि से हुआ है ।। उसके प्रत्येक सिद्धांत, आदर्श एवं विधि- विधान की रचना इसी दृष्टि से की गई है कि उसका प्रभाव जनमानस को ऊँचा उठाने एव परिष्कृत बनाने के लिए उपयोगी सिद्ध हो ।।
षोडश संस्कारों में जन्म- काल के जात- कर्म, नामकरण संस्कार से लेकर यज्ञोपवीत, विवाह एवं अंत्येष्टि संस्कार तक सभी की रचना ऐसी है कि जिस व्यक्ति के लिए यह संस्कार प्रयोग किए जाएँ, उस पर वेद- मंत्रों की सूक्ष्म शक्ति से, दैवी कृपा से, संस्कार में प्रयुक्त मंत्रों में दी जाने वाली महत्त्वपूर्ण शिक्षाओं से तथा उस कर्मकांड के प्रदर्शनात्मक प्रभाव के कारण मनोवैज्ञानिक रूप से अच्छा प्रभाव पड़े ।। व्यक्ति को सुसंस्कृत बनाने का उद्देश्य ही इन संस्कारों का प्रधान हेतु है ।। जिस समय इस षोडश संस्कारों की विद्या को लोग भली प्रकार जानते थे, उस समय इन विधि- विधानों के मनोवैज्ञानिक प्रभाव, दैवी अनुग्रह एवं शिक्षाओं के द्वारा वस्तुत: व्यक्ति को सुसंस्कारी बना देते थे ।। व्यक्तिगत चरित्र- निर्माण एव मनोभूमि को सुव्यवस्थित बनाने की दृष्टि से षोडश संस्कार भारतीय संस्कृति की एक महान् देन हैं ।। जिस प्रकार व्यक्तिगत जीवन की वैयक्तिक मनोभूमि- निर्माण के लिए षोडश संस्कारों की रचना हुई है, उसी प्रकार सामूहिक जीवन को, सारे समाज को सुसंस्कृत बनाने के लिए ऋषियों ने अनेक त्यौहारों की रचना की है ।। हिंदू- धर्म का प्रत्येक त्यौहार एक आदर्श, सिद्धांत एवं प्रेरणा को लिए हुए है ।।
Table of content
1. हमारे त्यौहार और पर्व
2. नवीन संवतसर
3. नवरात्रि
4. राम नवमी
5. गंगा दशहरा और गायत्री-जयंती
6. हरियाली तीज
7. श्रावणी और रक्षा-बंधन
8. जन्माष्टमी
9. गणेश चतुर्थी
10. सर्व पितृ अमावस्या
11. विजया दशमी
12. दीपावली
13. भैयादूज अथवा यमद्वितिया
14. गोपाष्टमी
15. बसंत पंचमी
16. महा शिवरात्रि
17. होली
18. अक्षय तृतीया
19. निर्जला एकादशी
20. ऋषि पंचमी
21. अनंत चतुर्दशी
22. गोवर्धन और अन्नकूट
23. देवोत्थान एकादशी
24. भीष्म पंचक
25. मकर संक्रांति
26. शीतला अष्टमी
27. अन्य व्रत और त्यौहार
Author |
Pt shriram sharma acharya |
Edition |
2015 |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
104 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |