Preface
इस प्रकार वाङ्मय के इस खंड के माध्यम से उस संगठन ने जन्म लिया जो आज देव संस्कृति दिग्विजय करता हुआ सारी विश्व-वसुधा में नवजागरण का शंखनाद कर रहा है । पूज्यवर सदा से एक ही बात कहते व लिखते रहे हैं कि धर्मतंत्र के माध्यम से ही राष्ट्र का भावनात्मक नवनिर्माण संभव है । सारी बहिरंग की परिस्थितियाँ भौतिक विकास की दिशा में किए जा रहे प्रयास प्रत्यक्षवादी उन्मादी प्रगति की ओर आज मानवता को ले जा रहे हैं । आज इसी कारण जीवन का कोई पक्ष विकृतियों से अछूता नहीं है । युग निर्माण की प्रक्रिया धर्मतंत्र को विडंबनाओं से मुक्त कर उसके परिष्कृत उपयोग तथा जाग्रत आत्माओं के माध्यम से नवनिर्माण के निमित्त समानांतर स्तर पर प्रयासों पर केंद्रित है । राजतंत्र आज जहाँ लोभ और भय के आधार पर अंकुश स्थापित करने की बात कहता है, वहाँ धर्मतंत्र मानवी अंतःकरण में दिव्य प्रेरणाओं का संचार कर व्यक्ति को अपनी गतिविधियाँ बदलने को विवश कर देता है । बिना किसी बाहरी दबाव या प्रयास के मनुष्य अपने आप अपनी भावनाओं के आधार पर अपने को बदल लें, यह क्षमता धर्म के अतिरिक्त और किसी तत्त्व में नहीं है । नवयुग के नवनिर्माण की भइमका संपादन कर सकना, केवल जाग्रत, जीवंत और कर्त्तव्यनिष्ठ लोगों के द्वारा ही संभव है । उसी को लक्ष्य मानकर भावनाशीलों का परिकर युग निर्माण परिवार के रूप में खड़ा किया गया है ।
सूक्ष्मजगत की दिव्य- प्रेरणा से उदभुत संकल्प ही युग निर्माण योजना के रूप में जाना जाता है ।। व्यक्ति के चिंतन- चरित्र में बदलाव, व्यक्ति से परिवार एवं परिवार से समाज का नवनिर्माण तथा समस्त विश्व- वसुधा एवं इस जमाने का, युग का, एक "एरा" का नवनिर्माण स्वयं में एक अनूठा अभूतपूर्व कार्यक्रम है, जिसकी संकल्पना परमपूज्य गुरुदेव द्वारा की गई ।।
Table of content
अध्याय-१ युग निर्माण योजना और उसकी दिशाधारा
अध्याय-२ युग निर्माण योजना-दर्शन और स्वरूप उसका प्रयोजन शुभारंभ और
अध्याय-३ नवनिर्माण की पृष्ठभूमि और आधार
अध्याय-४ युग निर्माण योजना की रूपरेखा और कार्यपद्धति
अध्याय-५ युग निर्माण सत्संकल्प की दिशाधारा
अध्याय-६ युग निर्माण योजना के आदर्श और सिद्धांत
अध्याय-७ युग निर्माण योजना का शतसूत्री कार्यक्रम
Author |
Pt Shriram sharma acharya |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
620 |
Dimensions |
20 cm x 27 cm |