Preface
जीवन विद्युत् का उदगम स्रोत
अपनी उँगलियों से नापने पर ६६ अंगुल के इस मनुष्य शरीर का वैसे तो प्रत्येक अवयव गणितीय आधार पर बना और अनुशासित है पर जितना रहस्यपूर्ण यंत्र इसका मस्तिष्क है, संसार का कोई भी यंत्र न तो इतना जटिल, रहस्यपूर्ण है और न समर्थ ।। यों साधारणतया देखने में उसके मुख्य कार्य -
1 ज्ञानात्मक
2 क्रियात्मक और
३. संयोजनात्मक है।
पर जब मस्तिष्क के रहस्यों की सूक्ष्मतम जानकारी प्राप्त करते है तो पता चलता है कि इन तीनों क्रियाओं को मस्तिष्क में इतना अधिक विकसित किया
जा सकता है कि (१) संसार के किसी भी एक स्थान में बैठै−बैठे संपूर्ण ब्रह्माण्ड के किसी भी स्थान की चींटी से भी छोटी वस्तु का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं ।। (३) कहीं भी बैठे हुए किसी को कोई संदेश भेज सकते है, कोई भार वाली वस्तु को उठाकर ला सकते है किसी को मूर्छित कर सकते हैं, मार भी सकते हैं। (३) संसार में जी कुछ भी है उस पर स्वामित्व और वशीकरण भी कर सकते है। अष्ट सिद्धियों और नव- निधियाँ वस्तुत: मस्तिष्क के ही चमत्कार है जिन्हें मानसिक एकाग्रता और ध्यान द्वारा भारतीय योगियों ने प्राप्त क्रिया था ।।
ईसामसीह अपने शिष्यों के साथ यात्रा पर जा रहे थे। मार्ग में वे थक गए, एक स्थान पर उन्होंने अपने एक शिष्य से कहा तुम जाओ सामने जो गाँव दिखाई देता है, उसके अमुक स्थान पर एक गधा चरता मिलेगा, तुम उसे सवारी के लिए ले आना।" शिष्य गया और उसे ले आया। लोग आश्चर्यचकित थे कि ईसामसीह की इस दिव्य दृष्टि का रहस्य क्या है? पर यह रहस्य व्यक्ति के मस्तिष्क मैं विद्यमान है बशर्ते कि हम भी उसे जागृत कर पाएँ।
Table of content
• जीवन विद्युत् का उद्गमस्रोत
• जितना समझते हैं उससे भी समर्थ
• मानवी सामर्थ्य और प्रकृति से भी वृहत्तर शक्ति
• अद्भुत चमत्कारी संकल्प शक्ति
• पहले मन को संस्कारित कीजिए
• मानसिक विक्षोभ से यो न टूटे जाइये
• शरीर ही नहीं मन को भी स्वस्थ रखिये
Author |
pt shriram sharma acharya |
Edition |
2013 |
Publication |
yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
112 |
Dimensions |
121X178X6 mm |