Preface
महापुरुषों के अमृत वचन हमारे लिए उनके साथ किये गए सत्संग की पूर्ति कर देते हैं । उनका उपदेश हमारी चित्तशुद्धि करता है एवं हमें क्षुरस्य धारा की तरह अध्यात्म के दुस्तर मार्ग पर चलने का साहस देता है । परम पूज्य गुरुदेव पं० श्रीराम शर्मा आचार्य जी के जीवन की एक सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उनने जीवन भर ऐसा लिखा, जिसने लाखों- करोड़ों का मार्गदर्शन किया तथा अपने प्रवचनों में इतना कुछ कहा कि अगणित व्यक्ति जो साहित्य के माध्यम से नहीं जुड़े थे, उनकी अमृतवाणी सुनकर जुड़ गए । इतनी सरल भाषा, इतने सुन्दर जीवन से जुड़े उदाहरण, कथानक एवं कबीर, तुलसी, वाल्मीकि, व्यास की विद्वत्ता का, आद्य शंकर एवं स्वामी विवेकानन्द के कुशाग्र भावसिक्त विचारों का समन्वय और कहीं देखने को नहीं मिलता । प्रस्तुत पुस्तक गायत्री व यज्ञ को जन- जन तक पहुँचाने वाले उसी युगपुरुष की अमृतवाणी का संकलन- सम्पादन है । एक प्रयास अप्रैल १९९५ में हुआ था, जब गुरुवर की धरोहर के भाग एक व दो प्रकाशित हुए थे । इनके माध्यम से आँवलखेड़ा पूर्णाहुति की पूर्ववेला में लाखों साधकों- परिजनों ने उनके विचारों को उनकी लिपिबद्ध प्रकाशित वाणी के रूप में पढ़ा । इसी के तुरंत बाद वाड्मय के ७० खण्डों का प्रकाशन हुआ । इनमें एक खण्ड अड़सठवें (६८ वें) खण्ड के रूप में पूज्यवर की अमृतवाणी प्रकाशित हुई । इसमें भी प्रवचनों का संकलन है । इसी गुरुवर की धरोहर का भाग- ३ आज से दो वर्ष पूर्व प्रकाशित हो चुका है । अभी प्रवचनों की अनन्त शृंखला हमारे पास लिपिबद्ध है । उन्हीं में से कुछ प्रवचन भाग- ४ के रूप में प्रकाशित किये जा रहे हैं । यह शृंखला अनवरत जारी रहेगी ।
Table of content
१. नया व्यक्ति बनेगा, नया युग आएगा
२. उपासना, साधना व आराधना का तत्त्वदर्शन
३. महाकाल के सहभागी बनें
४. युगसधि महापुरश्चरण और संकट निवारण
५. जीवन को धन्य बनाने का महानतम अवसर
६. आत्मिक प्रगति का ककहरा
७. भक्ति का वास्तविक तात्पर्य समझें
८. कैसे करें कायाकल्प ?
९. संकल्पशक्ति की महिमा एवं गरिमा
१०. विशिष्ठ वेला में विशिष्ट साधना
११. गुरु दक्षिणा चुकाएँ- समयदान करें -
१२. कालनेमि की माया से बचें
Author |
Dr.Pranav Pandya |
Edition |
2013 |
Publication |
Shri Ved Mata Gayatri Trust |
Publisher |
Shri Vedmata Gayatri Trust |
Page Length |
128 |
Dimensions |
216mmX140X7mm |