Preface
परमपूज्य गुरुदेव ने शांतिकुंज को गायत्री तीर्थ में परिणत कर न केवल तीर्थ परंपरा को पुनर्जीवित किया अपितु इसके साथ ही भारतीय संस्कृति की चिरपुरातन पाँच स्थापनाएँ जो हमारी धरोहर थीं, उन्हें भी नूतन प्राण दिए । ये हैं- देवालय, आश्रम, आरण्यक गुरुकुल एवं तीर्थ । आज इनकी चिह्नपूजा मात्र दिखाई देती है वास्तविकता में इनका वह रूप नहीं देखा जाता जिसके कारण कभी भारतीय संस्कृति सर्वोच्च शिखर पर थी ।
इन सबके बारे में पृथक-पृथक विवेचन करते हुए पूज्यवर ने लिखा है कि धर्मकृत्यों में सबसे अधिक व्यापकता, लोकमान्यता और विशाल स्वरूप तीर्थयात्रा को मिला है । दूसरे धर्मकृत्यों के लिए धर्मप्रेमी जनसमुदाय का जितना श्रम, समय, मनोयोग और धन खरच होता है, उन सबके सम्मिलित योग से भी अधिक शक्तियों और साधन-प्रयास तीर्थयात्रा में नियोजित होते हैं । हजारों-लाखों बड़े-छोटे तीर्थ भारत में हैं । सभी के संबंध में किन्हीं न किन्हीं समुदाय, वर्ग विशेष की मान्यता है, महिमा है । कुछ सार्वभौम है, जहाँ प्रतिवर्ष तीर्थयात्रा का क्रम चलता है यथा चारों धाम पूरे भारत के एवं उत्तराखंड के । इस तीर्थयात्रा का उद्देश्य क्या था, क्यों हमारे ऋषि चाहते थे कि मनुष्य घर से बाहर निकले एवं तीर्थों की पावन चेतना से- ऊर्जा से अनुप्राणित होकर आए? यह समझे बिना मात्र पर्यटन हेतु या धर्मधारणा से प्रेरित होकर पर दिशा के अभाव में भारी धन, समय, श्रम व सरकार की भी शक्ति इन सब कार्यो में लगती है । तीर्थ क्या थे, क्या बन गए क्या बनना चाहिए के माध्यम से परमपूज्य गुरुदेव ने वास्तविक तीर्थ की परिभाषा दी है एवं वहाँ जाकर क्या प्राप्त करने की इच्छा से जाना चाहिए वहाँ का अनुशासन कैसे पाला जाना चाहिए संस्कारों से कैसे अनुप्राणित होना चाहिए यह सब समझाया है ।
Table of content
अध्याय-१
तीर्थ क्या थे ? क्या बन गये?क्या बनने चाहिये?
अध्याय-२
अध्यात्म चेतना का ध्रुव केन्द्र
आरण्यक एवं गुरुकुल
अध्याय-४
प्राचीन तीर्थ परम्परा का अभिनव निर्धारण -गायत्री तीर्थ
अध्याय-५
नव -सृजन के शक्ति संस्थान
अध्याय-६
तीर्थयात्रा क्यों ?और कैसे करें?
अध्याय-७
तीर्थ -प्रक्रिया का अभिनव पुनर्जीवन
अध्याय-८
तीर्थ सेवन से आत्मपरिष्कार
अध्याय-९
तीर्थयात्रा इस तरह की जाय
अध्याय-१०
तीर्थयात्रा धर्म परम्परा का पुनर्जीवन
अध्याय-११
मंदिर जनजागरण के केन्द्र बनें
अध्याय-१२
पुरोहित जागें साधु चेतें
Author |
pt shriram sharma acharya |
Dimensions |
20 cm x 27 cm |