Preface
प्रात काल जब हम बोलते हैं तो गायत्री का सर्वप्रथम विनियोग
बोलते हैं तत्पश्चात गायत्री मंत्र का जप करते हैं । प्रत्येक वेदमंत्र
का एक विनियोग होता है । विनियोग किसे कहते हैं ? विनियोग
संकल्प को कहते हैं । संकल्प में क्या होता है ? उसका ब्योरा होता
है । गायत्री मंत्र के बारे में जल लेकर के कहते हैं, गायत्री छंद
सवित देवत विश्वामित्र ऋषि जपे विनियोग। गायत्री
का जो ऋषि है, विश्वामित्र है । गायत्री का पारंगत निष्णात जिसने
पी-एच० डी० किया, जिसने थीसिस लिखी, जिसने सब खोज की,
उस अनुसंधान करने वाले का नाम विश्वामित्र है, जिसको हम याद
करते हैं । गायत्री मंत्र को भी याद करते हैं उसके खोजकर्त्ता की भी
याद करते हैं । विश्वामित्र ने गायत्री की खोज में पा जिंदगी लगा
दी । एक और खोज करने वाले व्यक्ति का नाम मेरे दिमाग में आ
रहा है । कौन था खोज करने वाला ? उस खोज करने वाले का जो
अभी- अभी हमारे ध्यान में आया है, नाम था- हिलेरी । हिलेरी
कौन था? हिलेरी वह था, जिसके मन में आया कि भारत की
सबसे बड़ी और ऊँची पर्वतचोटी, जिसके बारे में लोग कहते तो हैं,
पर है क्या, देखना चाहिए। वह शेरपा तेनसिंग नोरके को लेकर
एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ गया था और यहाँ पर झंडा गाड़ दिया ।
सारी दुनिया ने जाना जिस चोटी पर कोई नहीं जा सका
Author |
pt Shriram sharma acharya |
Edition |
2011 |
Publication |
yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
40 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |