Preface
गायत्री उपासना में हमारे जीवन का अधिकांश भाग व्यतीत हुआ है । अपने साधना काल में हमने लगभग २००० आर्ष ग्रंथों का अध्ययन करके गायत्री संबंधी बहुत ही बहुमूल्य जानकारी प्राप्तकी है । स्वयं २४- २४ लक्ष के २४ पुरश्चरण किए हैं और देशभर के गुप्त-प्रकट गायत्री उपासकों से संबंध स्थापित करके उनके बहुमूल्य सहयोग, अनुभव तथा आशीर्वाद का संग्रह किया है । इस मार्ग पर चलते हुए हमें जो अनुभव प्राप्त हुए हैं, वे इतने महत्त्वपूर्ण एवं आश्चर्यजनक हैं कि गायत्री की महिमा के संबंध में किसी भी प्रकार का संदेह नहीं रह जाता है । गायत्री को अमृत, पारस और कल्पवृक्ष कहा गया है । इससे बढ़कर श्री, समृद्धि, सफलता और सुख-शांति का दूसरा मार्ग नहीं है । गायत्री उपासकों को माता का आँचल पकड़ने से जो अनुभव हुए हैं, उनका कुछ का संक्षिप्त वृत्तांत इस पुस्तक में दिया जा रहाहै । इससे असंख्यों गुने महत्त्वपूर्ण अनुभव तो अभी अप्रकाशित ही हैं । इतना निश्चित है कि कभी किसी की गायत्री-साधना निष्फल नहीं जाती । इस दिशा में बढ़ाया हुआ प्रत्येक कदम कल्याण कारक ही होता है । गायत्री उपासना कैसे करनी चाहिए ? किस-किस कार्य के लिए गायत्री महाशक्ति का उपयोग किस प्रकार, किस विधि-विधान से होना चाहिए इसका विस्तृत वर्णन हमने गायत्री महाविज्ञान ग्रंथ के चारों खंडों में भली प्रकार कर दिया है । पाठक उनसे सहायता लेकर आशाजनक लाभ उठा सकते हैं ।
Table of content
1 महापुरुषों द्वारा गायत्री-महिमा का गान
2 गायत्री महिमा से सतोगुणी सिद्धियाँ
3 गायत्री साधना से श्री, समृद्धि और सफलता
4 गायत्री साधना से आपत्तियों का निवारण
5 देवियों की गायत्री साधना
6 जीवन का कायाकल्प
Author |
Pandit Shriram Sharma Aacharya |
Edition |
2011 |
Publication |
Yug Nirman Yogana Vistar, Trust Mathura |
Publisher |
Yug Nirman Yogana, Mathura |
Page Length |
44 |
Dimensions |
120mmX181mmX2mm |