Preface
आध्यात्मिक जीवन आत्मिक सुख का निश्चित हेतु है ।। अध्यात्मवाद वह दिव्य आधार है जिसपर मनुष्य की आंतरिक तथा बाह्य दोनों प्रकार की उन्नतियाँ एवं समृद्धियाँ अवलंबित हैं ।। सांसारिक उपलब्धियाँ प्राप्त करने के लिए भी जिन परिश्रम पुरुषार्थ सहयोग सहकारिता आदि गुणों की आवश्यकता होती है वे सब आध्यात्मिक जीवन के ही अंग हैं ।। मनुष्य का आंतरिक विकास तो अध्यात्म के बिना हो ही नहीं सकता ।।
अध्यात्मवाद जीवन का सच्चा ज्ञान है ।। इसको जाने बिना के सारे ज्ञान अपूर्ण हैं और इसको जान लेने के बाद कुछ संसार भी जानने को शेष नहीं रह जाता ।। यह वह तत्त्वज्ञान एवं महाविज्ञान है जिसकी जानकारी होते ही मानव- जीवन अमरतापूर्ण आनंद से ओत- प्रोत हो जाता है ।। आध्यात्मिक ज्ञान से पाये हुए आनंद की तुलना संसार के किसी भी आनंद से नहीं की जा सकती क्योंकि इस आत्मानंद के लिए किसी आधार की आवश्यकता नहीं होती ।। वस्तुजन्य मिथ्या आनंद वस्तु के साथ ही समाप्त हो जाता है, जबकि आध्यात्मिकता से उत्पन्न आलिकसुख जीवनभर साथ तो रहता ही है अंत में भी मनुष्य के साथ जाया करता है ।। वह अक्षय और अविनश्वर होता है एक बार प्राप्त हो जाने पर फिर कभी नष्ट नहीं होता ।। शरीर की अवधि तक तो रहता ही है शरीर छूटने पर भी अविनाशी आत्मा के साथ संयुक्त रहा करता है ।।
Author |
Pandit Shriram Sharma Aacharya, Vandaniya Bhagwati Devi Sharma |
Edition |
2011 |
Publication |
Yug Nirman Yogana, Mathura |
Publisher |
Yug Nirman Yogana, Mathura |
Page Length |
404 |
Dimensions |
255mm X190mm X 22mm |