Preface
बुद्धि की देवी गायत्री के प्रत्येक उपासक के लिए स्वाध्याय भी उतना ही आवश्यक धर्म कृत्य है, जितना जप, ध्यान, पाठ आदि । बिना स्वाध्याय के, बिना ज्ञान की उपासना के बुद्धि पवित्र नहीं हो सकती, मानसिक मलीनता दूर नहीं हो सकती और इस सफाई के बिना माता का सच्चा प्रकाश कोई उपासक अपने अंतःकरण में अनुभव नहीं कर सकता । जिसे स्वाध्याय से प्रेम नहीं, उसे गायत्री उपासना से प्रेम है, यह नहीं माना जा सकता । बुद्धि की देवी गायत्री का सच्चा भोजन स्वाध्याय ही है । ज्ञान के बिना मुक्ति संभव नहीं । इसलिए गायत्री उपासना के साथ ज्ञान की उपासना भी अविच्छिन्न रूप से जुड़ी़ हुई है ।
Table of content
1 ब्रह्मज्ञान का प्रकाश
2 ब्रह्मज्ञान और आस्तिकता
3 ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति का मार्गं
4 ब्रह्मज्ञान का मार्गं कठिन नहीं
5 ब्रह्मज्ञान के लिए ध्यान की आवश्यकता
6 ईश्वर का भजन कैसे किया जाय ?
7 अपनी प्रवृति को अंतर्मुखी बनाइए
Author |
Pandit Shriram Sharma Aacharya |
Edition |
2014 |
Publication |
Yug Nirman Yogana, Mathura |
Publisher |
Yug Nirman Yogana, Mathura |
Page Length |
24 |
Dimensions |
182mmX122mmX1mm |