Preface
ऋषियों ने इस भारी कठिनाई को देखकर एक अत्यन्त ही सुन्दर और महत्वपूर्ण उपाय यह निश्चित किया कि प्रत्येक बालक पर माँ-बाप के अतिरिक्त किसी एक ऐसे व्यक्ति का भी नियंत्रण रहना चाहिए जो मनोविज्ञान की सूक्ष्मताओं को समझता हो, दूरदर्शी, आत्म-ज्ञानी और पारदर्शी होने के कारण बालक के मन में जमते रहने वाले संस्कार बीजों को अपनी पैनी दृष्टि से तत्काल देख लेने और उनमें आवश्यक सुधार करने की योग्यता रखता हो। ऐसे मानसिक नियंत्रण- कर्ता की उनने प्रत्येक बालक के लिए अनिवार्य आवश्यकता घोषित की।
Table of content
• अनादि गुरुमंत्र गायत्री
• शिक्षा और विद्या का महत्त्व
• गायत्री द्वारा द्विजत्व की प्राप्ति
• उत्कीलन और शाप मोचन
• आत्मकल्याण की तीन कक्षाएँ
• गायत्री महामंत्र के भावार्थ में ही है उत्कीलन का रहस्य
• कल्याण मंदिर का प्रवेश द्वार
• श्रद्धा के प्रकटीकरण की आवश्यकता
• वर्तमान काल की कठिनाइयाँ
Author |
Pt. Shriram sharma acharyaअ |
Edition |
2013 |
Publication |
Yug Nirman Yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
32 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |