Preface
परामर्श और प्रशिक्षण यों सदा ही श्रेयकर होते हैं, पर यदि उन्हें उपयुक्त समय पर, उपयुक्त वातारण में, उपयुक्त ढंग से किया जाय, तो उसका कुछ दूसरा ही प्रभाव होता हैं। यों एक-दूसरे का तिलक, माला के समय सम्मान करते हैं, पर युद्ध में जा रहे सैनिक को जब समारोह पूर्वक लोगों द्वारा भावनापूर्वक विदाई दी जाती है, तिलक, माला से सम्मानित किया जाता है, तो वह उसे सदा ध्यान में रखता है और जीवन-मरण का अवसर आने पर भी अपने कर्तव्य पर यह सोच कर जमा रहता है कि भागने पर तो जिन लोगों ने वीरता दिखाने का उपदेश दिया था उन्हें क्या मुँह दिखाऊँगा। यों लोग झूठी कसम खाते रहते है, पर गंगाजी में खड़े होकर या गंगाजली हाथ में लेकर कसम खाने का अवसर आने पर धर्म भीरू लोग झूठी कसम प्रायः नही खाते। मरते समय जो आदेश बुजुर्ग लोग अपने घर वालों को देते हैं या दूसरों से अनुरोध करते हैं, उस बात को प्रायः याद रखा जाता है और बहुधा लोग उसे पूरा करने का प्रयत्न करते रहते हैं।
Table of content
• विशेष परिस्थिति विशेष भावना
• उचित ढंग से उचित प्रयोग
• शिशु का समग्र विकास
• गर्भाधान संस्कार
• पुंसवन संस्कार की आवश्यकता
• औषधि अवघ्राण
• आश्वास्तना
• चरु प्रदान
• सद्भाव एवं शुभकामना संचय
• पुत्र और कन्या का अन्तर
Author |
pt. shriram sharma acharya |
Edition |
2015 |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
24 |
Dimensions |
120X180X1 mm |