Preface
ढाई हजार वर्ष पुरानी बात है ।। कपिलवस्तु नगरी के राजमार्ग पर एक बुड्ढा भिखारी चला जा रहा था ।। जरावस्था ने उसकी कमर को झुका दिया था, नेत्रों की ज्योति को क्षीण कर दिया था, दाँतों को गिरा दिया था और पैरों को लड़खड़ाकर चलने वाला बना दिया था ।। वह रोटी के एक टुकड़े के लिए पुकार मचा रहा था,पर रोटी देने के बदले कितने ही शरारती बालक उसके पीछे पड़ गए थे और तरह -तरह से छेड़कर उसे तंग कर रहे थे ।। इतने में एक राजकीय रथ चलते- चलते उसके पास रुका और उसमें से एक देव- कांति वाला पुरुष उतरकर उस भिखारी को ध्यानपूर्वक देखने लगा ।। उसने सारथी से पूछा कौन है और इसकी यह दुर्दशा क्यों हो रही है ? तब उसे मालूम हुआ कि यह एक बुड्ढा आदमी है,जो शरीर के अशक्त हो जाने से जीविकोपार्जन में असमर्थ हो गया है और भूख की व्यथा को दूर करने के लिए इधर- उधर रोटी माँगता फिरता है ।। राजकुमार को यह एक अनोखा दृश्य जान पड़ा, क्योंकि उसने आज से पहले किसी दीन- दुःखी वृद्ध पुरुष को नहीं देखा था ।। उसको अभी तक जिस वातावरण में रखा गया था, उसमें सुख और आनंददायक श्रेष्ठ दृश्यो के अतिरिक्त उसे कभी दैन्य, कष्ट, रोग- शोक की घटनाओ को देखने का अवसर ही नहीं मिला ।। आज संयोग से मार्ग में चलते हुए ऐसी जर्जर और निकष्ट अवस्था में पहुँचे हुए व्यक्ति को देखकर उसकी आँखें खुल गई ।। यह राजकुमार गौतम थे, जो आगे चलकर महात्मा बुद्ध के नाम से प्रसिद्ध हुए ।।
गौतम शाक्य वंशीय शुद्धोदन के पुत्र थे ।। उनकी माता महामाया उनको सात दिन का ही छोड्कर मर गई थी और उनका लालन- पालन सेवक और दासियों द्वारा किया गया था ।।
Table of content
1. लोक कल्याण के व्रती - महात्मा बुद्ध्
2. गौतम का विचार-मंथन
3. राजकीय बंधनो का त्याग
4. गौतम के समय कि सामाजिक अवस्था
5. गृह त्याग और तपस्या
6. गौतम बुद्ध के सिद्धांत
7. परिवार वालों को धर्म-प्रचारक बनाना
8. परमार्थ परायण कार्यकर्ताओं का संगठन
9. स्वार्थ त्याग ही साधु का लक्षण है
10. समता के सिध्दांत पर आचरण
11. बुद्धिसंगत धर्म ही श्रेष्ठ है
12. सहकारी-जीवन की आवश्यकता
13. बुध्द के अंतिम दिन
Author |
pt. shri ram sharma acharya |
Edition |
2013 |
Publication |
Akhand Jyoti Santahan, Mathura |
Publisher |
yug nirman Press, Mathura |
Page Length |
32 |
Dimensions |
121X181X3 mm |