Preface
नदिया, बंगाल के काजी चाँद खाँ ने हरि कीर्तन को बंद करने की आज्ञा निकाली । उसने एकाध स्थान पर कीर्तन बंद करा के लोगों को जेल भेजने की धमकी भी दी । भक्तों ने उससे डरकर कीर्तन करने वाली वैष्णव मंडली के लोकप्रिय नेता निमाई पंडित (बाद में श्री चैतन्य प्रभु) के पास जाकर कहा- ऐसा अत्याचार होगा तो हम हरि-कीर्तन कर सकेंगे ? इससे तो अच्छा है कि हम किसी ऐसे स्थान पर चले जायें, जहाँ निर्विघ्न भगवान् का नाम ले सकें ।
दुसरे दिन उन्होंने अपने परम सहकारी निताई तथा हरिदास से कहा कि संपूर्ण नगर में यह घोषणा कर दो कि, आज संध्या को हम कीर्तन करते हुए समस्त नगर का भ्रमण करेंगे और काजी साहब के मकान पर भी कीर्तन करेंगे । सब लोग नियत समय पर हमारे घर एकत्रित हों और प्रकाश के लिए एक-एक मशाल भी लेते आवें । निताई यह प्रसन्न हो उठे और उन्होंने हरिदास को साथ लेकर –मुहल्ले- मुहल्ले में यह संवाद फैला दिया और लोगों को प्रेरणा दी कि वे जलूस का स्वागत करने के लिए सजावट और अन्य तैयारियाँ करें ।
नदिया के निवासी इस घोषणा को सुनकर बहुत प्रसन्न हुए । अब तक अधिकांश लोगों ने निमाई - निताई को कीर्तन करते अपनी आँखों से नहीं देखा था, क्योंकि वे प्राय: श्रीवास पंडित के घर पर ही कीर्तन किया करते थे ।
निमाई ने रोषपूर्वक कहा- तुम तनिक भी भयभीत न हो-हरि नाम का लेना कोई नहीं रोक सकता । नगर छोड़ने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी और न हरि-कीर्तन रोकना पड़ेगा ।
Table of content
1. महाप्रभु चैतन्य
2. धार्मिक नवचेतना के अवतार- महाप्रभु चैतन्य
3. बाल्यावस्था और विद्यावस्था
4. उदारता की पराकाष्ठा
5. चैतन्य की गुणग्राहकता
6. त्याग व तपस्या का जीवन
7. जनता में कीर्तन का प्रचार
8. निताई और हरिदास
9. जगाई-मघाई का उद्धार
10. चैतन्य का संन्यास और महा अभियान
Author |
pt. shri ram sharma acharya |
Edition |
2013 |
Publication |
Akhand Jyoti Santahan, Mathura |
Publisher |
yug nirman Press, Mathura |
Page Length |
32 |
Dimensions |
121X181X3 mm |