Preface
मानवीय काया अपने आम में एक अजूबा है। इस भगवत्संरचना के एक-एक भाग को देखकर आश्चर्य चकित होकर रह जाना पड़ता है कि किस कुशलता से उस नियन्ता ने इसे विनिर्मित किया होगा। मानवीय काया में जिसे सर्वोच्य व शीर्ष स्थान प्राप्त है तथा जिसकी सक्रियता-निष्क्रियता पर ही सुन्दर काय कलेवर की सार्थकता है, वह है मानवीय मस्तिष्क जिसे प्रत्यक्ष कल्प वृक्ष, भानुमती का पिटारा, जादुई कम्प्यूटर आदि अनेकानेक उपाधियाँ दी गयी हैं। इस मस्तिष्क का ही चमत्कार है कि शरीर की दृष्टि से मनुष्य यदि कुछ उन्नीस भी है अथवा उसके साथ कोई जन्मजात से लेकर दुर्घटना जन्य विकलांगता जुड़ी हुई है तो भी मस्तिष्क की प्रखरता बनी रहने पर वह बहुत कुछ बुद्धि कौशल संबंधी कार्य संपादित कर सकता है, करा सकता है। मस्तिष्कीय कौशल पर ही मानव की सारी लौकिक-पारलौकिक सफलताएँ, ऋद्धि-सिद्धियाँ टिकी हुई है। यदि मनुष्य अपने पर बहुमूल्य अनुदान को सही ढंग से साध लेता है तो वह दुनियाँ में जो चाहे, वह हस्तगत कर सकता है।
Table of content
1. मानवी मस्तिक-प्रत्यक्ष कल्पवृक्ष
2. पिछडा़ होना या प्रतिभावान बनना अपने ऊपर निर्भर है
3. बुद्धि बढा़ने के उपाय
4. स्वप्न रात्रि का भटकाव नहीं है
5. हमें स्वप्न क्यों दिखाते हैं?
6. परिष्कृत मस्तिष्क की दिव्य क्षमताएँ
Author |
Brahmvarchasva |
Edition |
0.81 |
Publication |
Akhand Jyoti Santahan, Mathura |
Publisher |
Janjagran Press, Mathura |
Page Length |
478 |
Dimensions |
205X277X20 mm |