Preface
मनुष्य को न तो अभागा बनाया गया है और न अपूर्ण। उसमें वे सभी क्षमताएँ बीज रूप से विद्यमान हैं, जिनके आधार पर अभीष्ट भौतिक एवं आत्मिक सफलताएँ प्रचुर मात्रा में प्राप्त की जा सकती हैं, आवश्यकता उनके समझने और उनके उपयोग करने की है।
Table of content
1. सुधरें-सँभलें तो काम चले
2. उसे जड़ में नहीं, चेतन में खोजें
3. निकृष्टता से उबरें, महानता अपनाएँ
4. धर्म धारणा की व्यावहारिकता
5. पंचशीलों का अभ्यास करें
6. उच्च मानसिकता के चार सूूत्र
7. सुनिश्चित राजमार्ग अपनाएँ
8. कर्मकाण्डों के साथ भाव सम्वेदना का समावेश
9. प्रतीक पूजा का तत्त्वदर्शन
10. उपासना-ध्यान-धारणा का स्वरूप और मर्म
11. प्रस्तुत अनुपम सुयोग का लाभ उठाएँ
Author |
Pandit Shriram Sharma Aacharya |
Edition |
2014 |
Publication |
Yug Nirman Yogana Vistar Trust, Mathura |
Publisher |
Yug Nirman Yogana, Mathura |
Page Length |
32 |
Dimensions |
121mmX181mmX2mm |