Preface
जीव अमर है। उसकी मृत्यु का कोई प्रश्न ही उपस्थिति नहीं होता। अविनाशी आत्मा सदा से है और सदा तक रहेगा। शरीर की मृत्यु को हम लोग अपनी मृत्यु समझते हैं, बस इसलिए डरते और भयभीत होते रहते हैं। यदि अतः करण को यह विश्वास हो जाये कि आज की तरह हमें आगे भी जीवित रहना है तो डरने की बात नहीं रह जाती।
मृत्यु का भय अन्य सब भयों से अधिक बलबान है, आदमी मौत के डर से थार-थर काँपा करता है। इसका कारण परलोक संबंधी अज्ञान है। इस पुस्तक में उस अज्ञान को हटाने का प्रयास किया गया है और उस जिज्ञासा की पूर्ती करने की चेष्टा की गयी है, जिसमें मनुष्य अपने भविष्य के बारे में जानने के लिए आतुर रहता है।
Table of content
1. मृत्यु का स्वरुप
2. परलोक कैसा है
3. स्वर्ग-नर्क
4. स्वर्ग
5. पुनर्जन्म की तैयारी
6. भूत-प्रेत
7. मृत्यु की तैयारी
8. भूत ब्याधा और उसका निवारण
Author |
Pt. shriram sharma |
Edition |
2015 |
Publication |
yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
48 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |