Preface
अपने समाज में कुरीतियां, विकृति, परम्पराओं तथा अंधविश्वास की भरमार है ? ऐसी प्रथाएं जड़ जमाएं बैठी हैं। जिससे अपार हानि होती है। किन्तु लोग उन्हें छाती से चिपकाए बैठे हैं कि वे लम्बे समय से चली आ रही हैं। बाल विवाह, पर्दा प्रथा, दहेज़ प्रथा विवाहों में होने वाला अपव्यय, मृत्यु भोज, छूत-अछूत पशुबलि जैसी कुरीतियों से राई-रत्ती भर भी समाज को लाभ नहीं हैं, फिर भी सामान्य प्रथा परम्परा के नाम पर उन्हें अपनाये हुए हैं। ऐसा लगता है कि उन्हें छोड़ने से धर्मच्युत हो जायेंगे। ठीक ऐसी ही एक मूढ़ मान्यता यह है कि संतान होना सौभाग्य का तथा न होना दुर्भाग्य का चिन्ह है। इस मान्यता के समर्थन में जो तर्क दिए जाते हैं, और भी विचित्र हैं।
Table of content
1. प्रजनन सम्बन्धी ये भ्रांतियां विकास में बाधक
2. विवाह एक बंधन नहीं उत्तरदायित्व है
3. भारतीय समाज पर एक बहुत बड़ा कलंक- दहेज़ प्रथा
4. विवाहोन्माद में अनावश्यक अपव्यव की रोकथाम की जाय
5. विवाहों में बर्बादी का प्रतिरोध किया जाए
6. विवेक जागे, साहस फूटे तो ही कुरीतियां मिटें
7. बाल विवाह अनैतिक है इन पर अंकुश लगे
Author |
Pt. Shriram sharma Acharya |
Edition |
2016 |
Publication |
yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
56 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |