Preface
बुद्धि की देवी गायत्री बुद्धि की देवी गायत्री के प्रत्येक उपासक के लिए स्वाध्याय भी उतना ही आवश्यक धर्म कृत्य है, जितना जप, ध्यान, पाठ आदि । बिना स्वाध्याय के, बिना ज्ञान की उपासना के बुद्धि पवित्र नहीं हो सकती, मानसिक मलीनता दूर नहीं हो सकती और इस सफाई के बिना माता का सच्चा प्रकाश कोई उपासक अपने अंतःकरण में अनुभव नहीं कर सकता । जिसे स्वाध्याय से प्रेम नहीं, उसे गायत्री उपासना से प्रेम है, यह नहीं माना जा सकता । बुद्धि की देवी गायत्री का सच्चा भोजन स्वाध्याय ही है । ज्ञान के बिना मुक्ति संभव नहीं । इसलिए गायत्री उपासना के साथ ज्ञान की उपासना भी अविच्छिन्न रूप से जुड़ी हुई है ।
Table of content
1. परिवर्तन की वेला में युगऋषि के संदेशवाहक बनें
2. श्रद्धांजलि का मूल्यांकन
3. युगऋषि से भावनात्मक स्तर पर जुड़ें
4. गुरुदत्त के अवतरण का उद्देश्य
5. 2015 तक परिवर्तन दिखाई देगा
6. 2020 तक भारत विश्वगुरु बनेगा
7. संगठन की सबसे बड़ी संपत्ति
8. हमारे लक्ष्य स्पष्ट रूप में समझें
9. संगठन का विस्तार करें
10. संगठन को सुदृढ़ बनाना आवश्यक
11. वर्त्तमान की दुर्दशा और युगऋषि की प्रतिज्ञा
12. यह विचारधारा जन-जन तक पहुँचे
13. ज्ञानयज्ञ विचारक्रांति ही युगधर्म
14. अगणित समस्याओं का हल
15. ज्ञानयज्ञ का स्वरुप
16. ज्ञानयज्ञ सबसे बड़ा परमार्थ
17. ज्ञान यज्ञ सबसे महान और व्यापक अभियान
18. ज्ञानयज्ञ विश्वव्यापी बनेगा
19. ज्ञानयज्ञ अश्वमेध का रूप धारण करेगा
20. गुरुदेव का वायदा
21. ज्ञानयज्ञ प्रदीप्त रखें
22. विचारक्रांति की आवश्यकता
23. विश्वशांति के लिए विचारक्रांति आवश्यक
24. विचार क्रांति सबसे बड़ी आवश्यकत्ता
Author |
Pt. shriram sharma |
Publication |
yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
48 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |