Preface
शरीर बुद्धि भावनायें, उनकी अभिव्यक्ति और भाषा की दृष्टि से मनुष्य का अन्य प्राणियों की तुलना में बढ़ा-चढ़ा होना मात्र एक भ्रम है यह आभास जरूर होता है कि वह अन्य प्राणियों से बढ़ा-चढ़ा और उन्नत है। संभव है यह भ्रम अन्य प्राणियों में भी हो। जिन आधारों पर मनुष्य की श्रेष्ठता सिद्ध की जाती है, वे तो झूठ हैं ही, परंतु उसका यह अर्थ नहीं है कि वस्तुतः मनुष्य अन्य प्राणियों के समान ही है। निस्संदेह मनुष्य अन्य प्राणियों की तुलना में श्रेष्ठ और परमात्मा का सबसे बड़ा पुत्र है, क्योंकि मनुष्य जीवन एक अवसर है, जिसमें यह सिद्ध किया जा सकता है कि परमात्मा ने हमें जो वस्तुएँ, जो विशेषताएँ और जो अधिकार दिये हैं, उनका हम सदुपयोग कर सकते हैं और अपनी प्रामाणिकता कर्तव्य परायणता के आधार पर और अधिक उच्च स्थिति प्राप्त करने के योग्य सिद्ध कर सकते हैं।
Table of content
क्या मनुष्य सचमुच सर्वश्रेष्ठ प्राणी है
बुद्धिमान होने के कारण मनुष्य सबसे बड़ा नहीं
मनुष्य जीवन भी एक प्रयास
भाव संवेदनाएं आत्म चेतना का प्रतीक
आनंद और उन्नति का आधार
वे भी बोलते हैं कोई समझे तो
बदलती परिस्थितियों में स्वयं भी बदलें
Author |
Pt shriram sharma acharya |
Edition |
2011 |
Publication |
yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
112 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |