Preface
परम पूज्य गुरुदेव ने जान जागरण में कथा शैली, काव्य एवं युग संगीत के अचूक प्रभाव को स्वीकारते हुए वर्तमान में उस विद्या के विकृत स्वरूप को संस्कृति-थाती एवं व्यक्ति, परिवार, समाज को पतनोन्मुख बनाने का दूषित प्रयास मानते हुए इस विद्या के परिष्कृत स्वरुप भजनोपदेश युग संगीत को प्रस्तुत कर जान मानस एवं विशेषतः नयी पीढ़ी को नयी दिशा प्रदान करने वाले गीत-संगीत का अभूतपूर्व प्रयास किया है।
गायत्री परिवार के गीत-कविता द्वारा जान आंदोलन के लिए कुछ योजनाएं संगीत प्रशिक्षण विभाग द्वारा प्रयोग प्रचार एवं प्रसार हेतु प्रस्तुत हैं।
Table of content
1. ज्योति से ज्योति जगाओ
2. अब फिर से सतयुग आयेगा
3. इतने रत्न दिये हैं कैसे
4. घर-घर अलख जगायेंगे
5. जीवन बड़ा महान
6. फिर अपने गाँवों को
7. युग की यही पुकार
8. स्वयं भगवान हमारे गुरु
9. हम गायत्री माँ के बेटे
10. मनुज देवता बने
11. हमको अपने भारत की
12. हमने आँगन नहीं बुहारा
13. युग-युग तक जग याद करे
14. गाये जा गाये जा
15. जागेगा इन्सान
16. कहाँ छुपा बैठा है
17. हे गायत्री माता तेरी
18. परिवर्तन के बिना न
19. श्री राम भक्ति ऐसी
20. करें व्यक्ति निर्माण
21. बदलो अपनी चाल
22. करते जो सहकार
23. संग्राम जिन्दगी है
24. जय अम्बे जय जगदम्बे
25. हमें फिर से धरा पर
26. माँ तेरे चरणों में
27. युग-युग से हम खोज
28. उठो सुनो प्राची से उगते
29. अवतरित हुई माँ गायत्री
30. सबसे अधिक जरुरी होता
Author |
Brahmavarcahs |
Edition |
2015 |
Publication |
Yug Nirman Yojana Press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistar Trust |
Page Length |
96 |
Dimensions |
14 cm x 21.5 cm |