Preface
परम पूज्य गुरुदेव ने जन जागरण में कथा शैली, काव्य एवं युग संगीत के अचूक प्रभाव को स्वीकारते हुए वर्तमान में उस विद्या के विकृत स्वरूप को संस्कृति- थाती एवं व्यक्ति, परिवार, समाज को पतनोत्मुख बनाने का दूषित प्रयास मानते हुए इस विद्या के परिष्कृत स्वरूप भजनोपदेशक युग संगीत को प्रस्तुत कर जनमानस एवं विशेषतः नयी पीढ़ी को नयी दिशा प्रदान करने वाले गीत- संगीत का अभूतपूर्व प्रयास किया है।
गायत्री परिवार के गीत- कविता द्वारा जन आन्दोलन के लिए कुछ योजनाएँ संगीत प्रशिक्षण विभाग द्वारा प्रयोग प्रचार एवं प्रसार हेतु प्रस्तुत है।
Table of content
• समझदारों से बात
• मन-मंदिर का उजाला
• युग का नया तराना
• वह दिन दूर नहीं
• प्रकाश से पहले
• निर्माण के स्वर
• समय कह रहा है
• सृजन-पर्व
• नया इनसान
• नवयुग का आगमन
• जागो और जगाओ
• जीने का ढंग
• ज्योति-पर्व
• साहित्यकार से
• क्रांति-मशालें
• नवयुग का स्वागत
• महाकाल की घोषणा
• नवयुग में विश्वास
• एक बनेंगे, नेक बनेंगे
• पत्थर मत मारो
• मूर्धन्यो! जागो
• निराली ज्योति
• विज्ञान रचना है
• नासमझी
• एक ही पहचान
• सावधान!
• चाल बदलो
• नए दीप का निर्माण
• नई उमंग
• अटल विश्वास
• सुखी जीवन की कला
• भारत माता की पुकार
• राष्ट्र की शक्ति नारी
• नारी-जागरण
• पीर की पहचान
• शिष्य की परीक्षा
• देश-सेवा अनिवार्य
• सहकार आवश्यक
• साहसिक कदम
• सम्मिलित प्रयास
• सृजन के गीत
• आवाज
• ज्ञान की बाती
• चरैवेति, चरैवेति
Author |
Pt shriram sharma acharya |
Edition |
2011 |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
48 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |